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मूली की फसल में फफूंद जनित रोग के कारण एवं रोकथाम के उपाय
मूली की फसल में फफूंद जनित रोग के कारण एवं रोकथाम के उपाय
मूली का स्वाद तीखा होता है। इसका इस्तेमाल सलाद, परांठे, सब्जी एवं अचार, आदि बनाने में किया जाता है। मूली की खेती ठंडी जलवायु में की जाती है। अक्सर इसकी फसल में काफी फफूंद जनित रोगों का प्रकोप देखने को मिलता है। इसके कारण मूली के उत्पादन और गुणवत्ता दोनों पर ही प्रभाव पड़ता है। इससे किसानों को काफी नुकसान होता है। किसान समय से इनकी पहचान कर, फसल को फफूंद जनित रोगों से बचा सकते हैं। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम किसानों को मूली की फसल में फफूंद लगने के कारण, लक्षण एवं रोकथाम के उपाय बताएंगे। आइए विस्तार से जानते हैं।
मूली में फफूंद लगने के मुख्य कारण
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मिट्टी में फफूंद का होना
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अत्यधिक सिंचाई
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सफेद मक्खी का प्रकोप
मिट्टी जनित रोग : कई बार मिट्टी में कुछ हानिकारक फफूंद एवं जीवाणु होते हैं।
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मिट्टी में मौजूद जीवाणु फसल में फफूंद जनित रोगों का कारण बनते हैं।
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ये जीवाणु पौधों की जड़ों को संक्रमित करते हैं।
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जड़ों के साथ ही यह पौधों को भी प्रभावित करते हैं।
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रोकथाम के लिए खेत तैयार करते समय मिट्टी को अच्छी धूप लगाएं।
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खेत की आखिरी जुताई के समय नीम की खली एवं गोबर की खाद का प्रयोग करें।
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फसल की बुवाई से पहले बीज को अच्छी तरह से उपचारित करें।
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बीज को ठंडी एवं अत्यधिक नम मिट्टी में न डालें।
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बाविस्टीन या कैप्टान की 2 ग्राम मात्रा से प्रति किलोग्राम बीज को उपचारित करें।
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प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें।
अत्यधिक सिंचाई : कई बार आवश्यकता से अधिक सिंचाई करने से फसल गलने लगती है।
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इस कारण उसमें फफूंद लग जाता है।
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पानी का खेत में जमा रहना भी इस समस्या का एक कारण है।
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रोकथाम के लिए संतुलित मात्रा में सिंचाई करें।
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पानी को खेत में जमा न रहने दें। जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।
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फफूंद नाशक दवा डाइथेन एम-45 या जेड 78 का 0.2 प्रतिशत घोल का छिड़काव करें।
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पोषक तत्वों का संतुलित मात्रा में इस्तेमाल करें।
सफेद मक्खी : सफेद मक्खी कीट एक चिपचिपे पदार्थ का स्राव करते हैं।
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इससे फफूंद जनित रोग होता है।
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यह हवा से एक पौधे से दूसरे पौधे में फैलता है।
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इस कीट के कारण पत्तियां पीली पड़ने लग जाती हैं।
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अधिक प्रभाव होने पर पौधा सूख जाता है।
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इसके रोकथाम के लिए फसल चक्र को अपनाएं।
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प्रभावित पौधों को नष्ट कर दें।
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इस कीट के नियंत्रण के लिए मैलाथियान 2 मिलीलीटर का प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
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चिपको या स्टीकर का प्रयोग करने से कीट पर काबू पाया जा सकता है।
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फसल को बचाने के लिए एक लीटर नीम के तेल को 200 लीटर पानी में मिलकर प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें।
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