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मूंगफली से बेहतर उपज प्राप्त करने में क्या है सल्फर की उपयोगिता

मूंगफली से बेहतर उपज प्राप्त करने में क्या है सल्फर की उपयोगिता

तिलहनी फसलों में सल्फर तत्व एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। दानों में अधिक तेल बनने से लेकर फसल के बेहतर विकास के लिए किसान फसल में सल्फर युक्त खाद का प्रयोग करते हैं। साथ ही साथ सल्फर क्लोरोफिल के निर्माण में भी योगदान देता है जिसके कारण पत्तियां हरी रहती है तथा पौधों की वानस्पतिक वृद्धि और बेहतर ढंग से होती है।

फसल उत्पादन में सल्फर (गंधक) का महत्व

  • फसलों में सल्फर का प्रयोग (गंधक) फसलों में प्रोटीन के प्रतिशत को बढ़ाने में सहायक होता है।

  • सल्फर नाइट्रोजन की क्षमता और उपलब्धता को बढ़ाता है।

  • दलहनी फसलों में सल्फर के प्रयोग से पौधों की जड़ो में अधिक गांठे बनती है। जिससे पौधों की जड़ो में उपस्थित राइज़ोबियम नामक जीवाणु वायुमंडल से अधिक से अधिक नाइट्रोजन ग्रहण कर पौधों को प्रदान करता है।

  • सल्फर तिलहन फसलों में उपज के साथ-साथ तेल की मात्रा को भी बढ़ाता है।

  • सल्फर मिट्टी के पीएच को कम करता है, साथ ही पौधों में ठंड और पाले से बचने की सहनशक्ति को बढ़ाता है।

फसलों में ऐसे करें सल्फर प्रबंधन

  • मूंगफली में बुवाई के समय पर 75 प्रतिशत सल्फर का प्रयोग करें। तथा शेष 25 प्रतिशत का प्रयोग फूल आने के समय करना चाहिए |

  • यदि मृदा अम्लीय है तो अमोनियम सल्फेट तथा पोटेशियम सल्फेट का प्रयोग उपयुक्त रहता है | इसके विपरीत क्षारीय मृदा में जिप्सम या सिंगल सुपर फॉस्फेट का प्रयोग करना चाहिए।

  • तात्विक गंधक या पाइराइट प्रयोग करने वाली जगहों पर पौधों के रोपण से 2 से 4 सप्ताह पूर्व ही खाद, खेत में डाल देनी चाहिए।

  • फसल में सल्फर की कमी दिखने पर प्रति एकड़ खेत में 8 से 16 किलोग्राम सल्फर का प्रयोग करें।

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मूंगफली में सल्फर की उपयोगिता एवं फसल पर इसके प्रभाव से जुड़ी अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए टोल फ्री नंबर 1800-1036-110 पर कॉल करके या फिर कमेंट बॉक्स के माध्यम से भी आप हमें सवाल पूछ सकते हैं।

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