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मूंगफली की फसल का पीला होना और उसका उपचार
मूंगफली के पौधों के पीले होने के कारण
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मूंगफली की फसल में फेरस सल्फेट की कमी के कारण पीलापन देखने को मिलता है।
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पौधों को कम धूप मिलने के कारण भी पौधे सल्फेट का उत्पादन नहीं कर पाते हैं और पीले होने लगते हैं।
फेरस सल्फेट की कमी से होने वाले नुकसान
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फेरस सल्फेट की कमी से पौधों में क्लोरोफिल बनने की प्रक्रिया प्रभावित होने लगती है।
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नए उभरते हुए पत्ते पीले और सफेद हो जाते हैं।
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अधिक प्रभाव होने पर पूरी फसल सूख कर पीली हो जाती है।
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पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया रुक जाती है और पौधे अपना भोजन नहीं बना पाते हैं।
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उपज की गुणवत्ता और पैदावार में कमी हो जाती है।
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पौधे में पोषक तत्वों का अपवाह धीमा हो जाता है।
नियंत्रण के उपाय
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चूनेदार या क्षारीय भूमि में मूंगफली की खेती नहीं करनी चाहिए।
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पौधों को पानी आवश्यक मात्रा में ही देना चाहिए।
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प्रति 3 वर्ष में 100 किलोग्राम जिप्सम प्रति एकड़ खेत की दर से मिट्टी में मिला देना चाहिए।
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अधिक यूरिया के प्रयोग से बचना चाहिए।
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फसल में फूल आने से पहले और फूल आने पर फेरस सल्फेट 0.5 प्रतिशत के घोल का छिड़काव संक्रमित पौधों पर करना चाहिए।
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