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मूंगफली की अच्छी पैदावार के लिए करें इन कीटों पर नियंत्रण

मूंगफली की अच्छी पैदावार के लिए करें इन कीटों पर नियंत्रण

तिलहन फसलों में मूंगफली की खेती प्रमुखता से की जाती है। इसके दानों को खाने के साथ, दानों से कई अन्य खाद्य पदार्थ भी तैयार किए जाते हैं। इसके अलावा इसकी खेती तेल प्राप्त करने के लिए भी की जाती है। इसके दानों में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन ई, विटामिन के, विटामिन बी 6 के साथ आयरन, कैल्शियम, जिंक, आदि पोषक तत्व भी पाए जाते हैं।

बात करें मूंगफली की खेती की तो इसकी बेहतर पैदावार एवं उच्च गुणवत्ता की फसल प्राप्त करने के लिए पौधों को विभिन्न कीटों से बचाना जरूरी है। आइए मूंगफली की फसल में लगने वाले कुछ प्रमुख एवं कीटों पर नियंत्रण के तरीकों पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।

मूंगफली की फसल में लगने वाले कुछ प्रमुख कीट

  • सफेद लट : जुलाई से अक्टूबर महीने में इस कीट का प्रकोप अधिक होता है। यह कीट पौधों को खा कर फसल को हानि पहुंचाते हैं। समय रहते कीट पर नियंत्रण नहीं किया गया तो पौधे सूखने लगते हैं। इस कीट के प्रकोप से फसल की पैदावार में भारी कमी आ सकती है। इससे बचने के लिए बुवाई से पहले प्रति एकड़ खेत में 10 किलोग्राम फोरेट का छिड़काव करें।

  • माहु : यह कीट पौधों के रस को चूस कर फसल को हानि पहुंचाते हैं। कुछ समय बाद प्रभावित पौधों की पत्तियां पीले रंग की हो जाती हैं। इस कीट का प्रकोप बढ़ने पर पौधों के विकास में बाधा आती है। इससे बचने के लिए 1 लीटर पानी 1 मिलीलीटर इमिडाक्लोरपिड मिला कर छिड़काव करना चाहिए।

  • लीफ माइनर : इसे पत्ती सुरंगी कीट के नाम से भी जाना जाता है। यह कीट पत्तियों के हरे भाग को अंदर से खाते हैं। जिससे पत्तियों पर सुरंग जैसी सफेद धारियां उभरने लगती हैं। इस कीट से निजात पाने के लिए प्रति लीटर पानी में 1 मिलीलीटर इमिडाक्लोरपिड मिला कर छिड़काव करें।

  • दीमक : यह कीट मिट्टी में रहते हैं और पौधों की जड़ों को काट कर फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। जड़ों के साथ यह कीट पौधों के तने एवं पौधों में बनने वाले दानों को भी क्षति पहुंचाते हैं। इस कीट से बचने के लिए बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 12 मिलीलीटर क्लोरोपाइरीफॉस 20 ई.सी से उपचारित करें। खड़ी फसल में कीट का प्रकोप होने पर प्रति एकड़ भूमि में 1.2 लीटर क्लोरोपायरीफॉस का प्रयोग करें।

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