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मूंगफली: काली पड़ती जड़ों से बरतें सावधानी, तेजी से गिर सकता है पैदावार
मूंगफली: काली पड़ती जड़ों से बरतें सावधानी, तेजी से गिर सकता है पैदावार
उकठा रोग के संदर्भ में अक्सर विशेषज्ञों के बीच कई अलग-अलग अवधारणा देखने को मिलती है। कुछ विशेषज्ञ उकठा रोग को एक विकराल बीमारी के रूप में दर्शाते हैं, जहां उनका कहना है कि फसल में एक बार रोग लग जाने पर रोग को नियंत्रित कर पाना असंभव होता है वहीं कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि, सही समय पर पहचाने गए लक्षणों और खेत में बुवाई से पहले किए गए कार्यों जैसे खाद, दवाई का छिड़काव और बीज उपचार के द्वारा फसल में रोग के नियंत्रण में मदद मिलती है। निष्कर्ष विभिन्न क्षेत्रों और किसानों के अंतिम फसल प्राप्ति परिणाम को देखते हुए निकाले गए हैं, जिनमें उकठा रोग को एक गंभीर बीमारी की श्रेणी में रखा गया है।
उकठा रोग एक मृदा आधारित रोग है, जो फसल में “फ्यूजेरियम” नामक कवक से फैलता है। जड़ वाली फसल होने के कारण मूंगफली में रोग का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है। यह फंगस पौधे की जड़ो पर प्रकोप डाल उन्हें काला कर देती है और परिणामस्वरूप जड़े सूखने लगती है। उकठा रोग से ग्रसित पौधों में मिट्टी से प्राप्त होने वाले पोषक तत्वों के अवशोषण में भी एक बड़ी बाधा आती है, रोग पौधों में पोषक तत्वों के प्रसार में पूरी तरह से रोक लगा देता है जिससे पौधे सूख कर मर जाते हैं।
मूंगफली में उकठा रोग सितंबर से जनवरी माह के या पौधों में फूल लगने के समय पर अधिक देखा जाता है। रोग के कारण जड़े सड़ कर गहरे काले रंग की हो जाती हैं और जड़ों से लेकर तने की ऊंचाई तक काली धारियां पड़ने लगती है। बड़ी फसल में पीले पड़ते पत्ते रोग के आम लक्षण हैं, जिससे बचने के लिए रोग प्रतिरोधी किस्मों की खेती या बीज उपचार जैसे तरीकों को अपनाया जा सकता है। इसके अलावा रोग के नियंत्रण के नीचे कुछ उपाय दिए गए हैं, जिन्हें आप फसल में रोग नियंत्रण के लिए प्रयोग में ला सकते हैं।
मूंगफली में उकठा रोग नियंत्रण
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बीजों को उपचारित करने के उपरांत ही बुवाई के लिए प्रयोग करें। बीजों को उपचारित करने के लिए कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत डब्ल्यू.पी. की 2 ग्राम मात्रा का प्रयोग प्रति किलोग्राम बीज की दर से करें।
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0.24 ग्राम टेबूकोनाज़ोल 5.4% एफ एस प्रति 10 किलोग्राम बीज की दर से इस्तेमाल करें |
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अमोनियम नाइट्रेट युक्त खाद के स्थान पर पोटेशियम खाद का प्रयोग करें।
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मूंगफली में उकठा रोग एक गंभीर बीमारी के रूप में जाना जाता है, जिससे बचने के लिए समय-समय पर फसल में निगरानी एवं शुरुआती समय में ही नियंत्रण के तरीके अपनाए जाने आवश्यक होते हैं। फसल में उकठा या अन्य प्रकार के रोगों से जुड़ी जानकारी के लिए आप देहात कृषि वैज्ञानिकों से टोल फ्री नंबर 1800-1036-110 के माध्यम से सीधा सवाल कर सकते हैं। इसके अलावा आप अपने सवाल कमेंट माध्यम से भी पूछ सकते हैं।
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