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मूंग
विभा कुमारी
कृषि विशेषयज्ञ
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मूंग की खेती में अच्छे उर्वरक का चयन और प्रबंधन

मूंग की खेती में अच्छे उर्वरक का चयन और प्रबंधन

भारत में मूंग की खेती मुख्यतः महाराष्ट्र, कर्नाटक,आंध्र प्रदेश, बिहार, राजस्थान और तमिलनाडु जैसे राज्यों में की जाती है। मूंग खरीफ की फसल के अंतर्गत आने वाली फसल है जिसे 65 से 70 दिनों में उगाया जा सकता है। इसकी उत्पादन की लागत कम होती है क्योंकि इसे गेहूं की कटाई के तुरंत बाद खेत की जुताई किए बिना भी बोया जा सकता है। इसके अलावा एक दलहनी फसल होने के कारण यह जमीन की उर्वरक क्षमता में भी वृद्धि करता है। लेकिन एक अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए कई अलग-अलग और बेहतर किस्म के उर्वरक और एक सही प्रबंधन की जरूरत हमेशा पड़ती है। अगर आप भी कर रहे हैं मूंग की खेती तो आइए इस पोस्ट के माध्यम से मूंग की खेती में अच्छे उर्वरक का चयन और प्रबंधन के लिए किए जाने वाले कार्यों की विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।

मूंग की फसल में उर्वरक प्रबंधन

  • खेत तैयार करते समय 5 किलोग्राम नाइट्रोजन (12 किलोग्राम यूरिया) एवं 16 किलोग्राम फास्फोरस (100 किलोग्राम सुपर फास्फेट) प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।

  • बुवाई से पहले 100 किलोग्राम जिप्सम एवं बुवाई के समय 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट खेत में मिलाएं।

  • बेहतर पैदावार प्राप्त करने के लिए प्रति किलोग्राम बीज को 25 ग्राम राइजोबियम से उपचारित करें।

मूंग के बेहतर उत्पादन के लिए किए जाने वाले कार्य

  • मूंग दाल के सर्वोत्तम उत्पादन के लिए अच्छी जल निकास वाली बलुई दोमट मिट्टी एवं मटियार दोमट मिट्टी का चयन करना चाहिए।

  • जल भराव और लवणीय मिट्टी में इसकी खेती करने से बचें।

  • अच्छी तरह जुताई कर के खेत तैयार करें और बुवाई के लिए क्यारियां बनाएं।

  • एक ही खेत में लगातार मूंग की खेती करने से बचें।

  • फसल चक्र अपनाएं।

  • बीज बोने के तीसरे दिन खरपतवारनाशी का छिड़काव करना चाहिए।

  • बुवाई से पहले बीज को बायोकंट्रोल एजेंटो और फिर राइजोबियम से उपचारित करें।

यह भी देखें:

ऊपर दी गयी जानकारी पर अपने विचार और कृषि संबंधित सवाल आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में लिख कर भेज सकते हैं। पोस्ट को लाइक करना एवं अन्य किसानों के साथ साझा करना न भूलें। साथ ही कृषि संबंधित ऐसी ही ज्ञानवर्धक और रोचक जानकारियों के लिए जुड़े रहें देहात से।

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