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कल्पना
कृषि विशेषयज्ञ
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मटर : रुट रॉट रोग से फसल हो न जाए नष्ट, इस तरह करें नियंत्रण

मटर : रुट रॉट रोग से फसल हो न जाए नष्ट, इस तरह करें नियंत्रण

मटर की खेती के दौरान कई तरह के कीट एवं रोग लगते हैं। जिनमे से रुट रॉट रोग या आद्रगलन एक प्रमुख रोग है। यह रोग फसलों को काफी हद तक नुकसान पंहुचा कर खेती से मिलने वाले मुनाफे को कम करता है। इसलिए यह अति आवश्यक है कि रुट रॉट रोग की सही समय पर पहचान कर अपनी फसल एवं अपने खेतों को होने वाले संभावित नुकसान से बचाएं। आइए इस पोस्ट के माध्यम से मटर की फसल में रुट रॉट रोग के लक्षण, प्रबंधन एवं नियंत्रण की जानकारी प्राप्त करें।

रोग का कारण

  • यह एक मृदा जनित रोग है।

  • वातावरण में अधिक आर्द्रता होने पर यह रोग ज्यादा तेजी से फैलते हैं।

रोग का लक्षण

  • आमतौर पर इस रोग का प्रकोप छोटे पौधों में अधिक देखने को मिलता है।

  • इस रोग से प्रभावित पौधों की निचली पत्तियां हल्के पीले रंग की होने लगती हैं।

  • कुछ समय बाद पत्तियां सिकुड़ने लगती हैं।

  • पौधों को उखाड़ कर देखा जाए तो उसके जड़ सड़े हुए दिखते हैं।

  • रोग से प्रभावित पौधे सूखने लगते हैं। इससे उत्पादन में भारी कमी आती है।

बचाव के उपाय

  • इस रोग से बचने के लिए फसल चक्र अपनाएं।

  • इस रोग से बचने के लिए बीज को उपचारित करना बहुत जरूरी है।

  • बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 2 ग्राम बाविस्टिन से उपचारित करें।

  • इसके अलावा प्रति किलोग्राम बीज को 3 ग्राम कार्बेन्डाज़िम या थीरम से भी उपचारित कर सकते हैं।

  • खेत में जलजमाव की स्थिति होने दें।

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हमें उम्मीद है इस पोस्ट में बताई गई दवाओं के प्रयोग से आप मटर की फसल को रुट रॉट रोग से बचा सकते हैं। यदि आपको यह जानकारी महत्वपूर्ण लगी है तो हमारी पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।

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