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मटर की फलियों एवं दानों के विकास के लिए करें यह कार्य

Author : Lohit Baisla

ठंड के मौसम में दलहन फसलों में मटर की खेती प्रमुखता से की जाती है। हरी मटर के की बिक्री के साथ इसके दानों को सूखा कर भी बिक्री की जाती है। बाजार में मटर की मांग अधिक होने के कारण इसकी खेती किसानों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होती है। लेकिन कई बार पोषक तत्वों की कमी होने पर पौधों में फलियां नहीं बनती हैं। कभी-कभी फलियों में दानें भी नहीं बनते हैं। जिससे पैदावार में भारी कमी आती है। आइए मटर की फलियों एवं दानों के विकास के लिए किए जाने वाले कार्यों की जानकारी यहां से प्राप्त करें।

मटर की फलियों एवं दानों के विकास के लिए किए जाने वाले कार्य

  • पौधों में फूल निकलने के समय या फलियां बनते समय प्रति एकड़ खेत में 1 किलोग्राम घुलनशील एन.पी.के खाद 13:00:45 के साथ 250 ग्राम माइक्रोन्यूट्रिएंट्स मिश्रण को 150 लीटर पानी में मिलकर छिड़काव करें।

  • प्रति एकड़ भूमि में 400 से 500 मिलीलीटर देहात ग्रो एक्स प्लस का प्रयोग करें।

  • इसके अलावा देहात पंच का प्रयोग करें।

  • दानों के बेहतर विकास के लिए कैल्शियम एवं बोरोन का भी प्रयोग करें।

  • इसके अलावा खेत में खरपतवारों पर भी नियंत्रण रखें। खरपतवारों की अधिकता से पौधों में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है।

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22 February 2022

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