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मटर
विभा कुमारी
कृषि विशेषयज्ञ
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मटर के पौधों पर दिख रहे सफेद पाउडर के धब्बे कम कर सकते हैं फसल का उत्पादन

मटर के पौधों पर दिख रहे सफेद पाउडर के धब्बे कम कर सकते हैं फसल का उत्पादन

चूर्णिल आसिता एक कवक जनित रोग है, जिसे सामान्य भाषा में पाउडरी मिल्ड्यू के नाम से भी जाना जाता है। यह रोग मटर के अलावा अन्य कई सब्जियों की पत्तियों पर सफेद पाउडर के रूप में जमा होता है और पत्तियों के गिरने का एक बड़ा कारण बन जाता है। रोग के लक्षण पत्तियों के दोनों ओर मटमैले सफेद रंग के धब्बे के रूप में प्रकट होते हैं और अनुकूल वातावरण मिलने पर ये धब्बे आपस में बढ़कर तने व फलियों तक फैल जाते हैं। इसके अलावा रोग के कारण संक्रमित भागों पर छोटी-छोटी गहरी काली गाठें भी देखने को मिलती हैं। इन गांठों में बड़ी संख्या में रोग के बीजाणु पाए जाते हैं जो फसल में तेजी से इस रोग का प्रसारण करते हैं।

पाउडरी मिल्ड्यू धीरे-धीरे पूरी फसल को अपनी चपेट में ले लेता है। पौधों के विकास की अवस्था में रोग का संक्रमण होने पर पौधे बौने, फलियां कम बनने या फलियों में कम दाने बनने जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं, जो फसल की पैदावार में कमी के बड़े कारण हैं। रोग की प्रारंभिक अवस्था में समय-समय पर फसल का निरीक्षण रोग के संक्रमण को बढ़ने से रोकता है। इसके अलावा मृदा के पास वाली पत्तियों के सर्वप्रथम संक्रमित होने जैसी जानकारी से भी किसान रोग के संक्रमण का पता लगा सकते हैं और समय पर नियंत्रण पा सकते हैं।

चूर्णिल आसिता रोग के लक्षण

  • सबसे पहले पत्तियों के ऊपरी भाग पर सफ़ेद-धूसर धब्बे दिखाई देते हैं जो बाद में बढ़कर सफ़ेद रंग के पाउडर में बदल जाते हैं।

  • फफूंद पौधे से पोषक तत्वों को सोख लेती है और प्रकाश संश्लेषण में भी बाधा डालती है जिससे पौधे का विकास रुक जाता है।

  • रोग की वृद्धि के साथ संक्रमित भाग सूख जाता है और पत्तियां गिरने लगती हैं।

  • पत्तियों और अन्य हरे भागों पर सफेद पाउडर दिखाई देता है जो बाद में हल्के रंग का सफेद धब्बा बन जाता है।

  • धब्बे धीरे-धीरे आकार में बढ़कर निचली सतह तक फैल जाते हैं।

  • गंभीर संक्रमण अवस्था में पूरी पत्ती पीली पड़ जाती है और समय से पहले ही झड़ जाती है।

रोग के नियंत्रण के उपाय

  • मेप्टाइल डिनोकैप 35.7% ईसी की 125 से 140 मिलीलीटर मात्रा का छिड़काव प्रति एकड़ की दर से रोग को नियंत्रित करने में प्रभावी पाया गया है।

  • प्रति एकड़ की दर से सल्फर 85% डीपी की 6 से 8 किलोग्राम मात्रा का छिडकाव कर भी फसल को रोग के संक्रमण से बचाया जा सकता है।

  • फसल चक्र, खेत की सफाई, और रोगग्रस्त पौधों के टुकड़े को नष्ट करने जैसे कार्य भी रोग को प्रभावी रूप से नियंत्रित करने में प्रभावी देखें गए हैं।

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किसान ऊपर बताई गयी केवल कुछ ही बातों का ध्यान रख रोग को प्रभावी ढंग से नियंत्रित कर सकते हैं। रोग से जुड़ी अन्य जानकारी व इसके रोकथाम के लिए किसान भाई टोल फ्री नंबर 1800 1036 110 पर कॉल कर भी कृषि विशेषज्ञों से सलाह ले सकते हैं। अपने मोबाइल में अपनी फसल संबंधी नोटिफिकेशन प्राप्त करने के लिए देहात ऐप डाउनलोड करना न भूलें।


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