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मटर : अगेती बुवाई के लिए करें इन किस्मों का चयन
मटर : अगेती बुवाई के लिए करें इन किस्मों का चयन
मटर की अगेती बुवाई किसानों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होती है। मटर की अगेती किस्में जल्दी तैयार हो जाती हैं। मटर की अगेती बुवाई के लिए मध्य सितंबर से शुरुआती अक्टूबर तक का समय उपयुक्त है। अगर आप भी करना चाहते हैं अगेती मटर की खेती तो इसकी कुछ उन्नत किस्मों की जानकारी होना आवश्यक है। आइए इस विषय में विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
मटर की अगेती किस्में
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काशी उदय : यह किस्म बिहार, झारखण्ड एवं उत्तर प्रदेश, राज्यों में खेती के लिए उपयुक्त है। इस किस्म को वर्ष 2005 में विकसित किया गया है। इसकी फलियों की लम्बाई 9 से 10 सेंटीमीटर तक होती है। प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर 42 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त किया जा सकता है।
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काशी अगेती : इस किस्म की फलियां सीधी एवं गहरे हरे रंग की होती हैं। फसल को तैयार होने में 50 दिनों का समय लगता है। प्रति एकड़ भूमि से करीब 38 से 40 क्विंटल तक पैदावार होती है।
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काशी नंदिनी : इस किस्म को वर्ष 2005 में विकसित किया गया है। इस किस्म की खेती उत्तर प्रदेश, उत्तरांचल, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, तमिलनाडु एवं केरल, आदि क्षेत्रों में खेती के लिए उपयुक्त है। अधिक पैदावार के लिए इस किस्म का चयन करें। प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर 44 से 48 क्विंटल तक मटर का उत्पादन होता है।
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काशी मुक्ति : इस किस्म की खेती बिहार, झारखण्ड, उत्तर प्रदेश एवं पंजाब में बड़े पैमाने पर की जाती है। इस किस्म की फलियां लम्बी एवं दाने आकार में बड़े होते हैं। विदेशों में भी इस किस्म की मांग बनी रहती है। प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर 46 क्विंटल तक पैदावार होती है।
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मटर की कुछ अन्य किस्मों की जानकारी यहां से प्राप्त करें।
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