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मसूर
डॉ. प्रमोद मुरारी
कृषि विशेषयज्ञ
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मसूर : खेती से पहले जानें यह बातें

मसूर : खेती से पहले जानें यह बातें

मसूर एक प्रमुख दलहनी फसल है। इसकी दाल यानी दाने नारंगी पीले रंग से गहरे नारंगी रंग के होते हैं। अन्य दालों की तुलना में यह अधिक पैष्टिक है। इसकी खेती भूमि के लिए भी बहुत लाभदायक साबित होती है। मसूर की खेती करने से मिट्टी की उर्वरक क्षमता में बढ़ोतरी होती है। अगर आप भी करना चाहते हैं मसूर की खेती तो इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां यहां से प्राप्त करें।

बुवाई का उपयुक्त समय

  • इसकी बुवाई अक्टूबर से दिसंबर महीने में की जाती है।

  • बेहतर पैदावार प्राप्त करने के लिए इसकी बुवाई मध्य अक्टूबर से मध्य नवंबर के बीच बुवाई करें।

बीज की मात्रा

  • छोटे दानों वाली किस्मों की खेती के लिए प्रति एकड़ भूमि में 12 से 14 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।

  • बड़े दानों वाली किस्मों की खेती के लिए प्रति एकड़ भूमि में 16 से 18 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।

बीज उपचारित करने की विधि

  • बुवाई से प्रति किलोग्राम बीज को 4 ग्राम ट्राइकोडर्मा से उपचारित करें।

  • इसके अलावा आप प्रति किलोग्राम बीज को 3 ग्राम थीरम से भी उपचारित कर सकते हैं।

  • इसके बाद प्रति किलोग्राम बीज को 5 ग्राम राइजोबियम कल्चर से उपचारित करें।

उपयुक्त मिट्टी

  • इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी एवं मसूर की खेती के लिए बलुई दोमट उपयुक्त है।

  • अधिक क्षारीय एवं अम्लीय मिट्टी में मसूर की खेती न करें।

  • मिट्टी का पी.एच. स्तर 5.8 से 7.5 के बीच होना चाहिए।

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मसूर की उन्नत किस्मों की जानकारी यहां से प्राप्त करें।

हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। यदि आपको इस पोस्ट में दी गई जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अधिक से अधिक किसानों तक यह जानकारी पहुंच सके। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।

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