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मक्का : वर्षा के मौसम में पीले पड़ते पौधे
मक्का : वर्षा के मौसम में पीले पड़ते पौधे
मक्का खरीफ मौसम में खेती की जाने वाली एक महत्वपूर्ण फसल है। वर्षा का मौसम शुरू होने से पहले ही कई क्षेत्रों में इसकी बुवाई सफलतापूर्वक कर दी गई है। वर्षा ऋतु के आगमन के साथ फसलों में कई तरह की समस्याएं भी शुरू हो जाती हैं। बात करें बिहार की तो वहां मक्के की फसल करीब 1 महीने की हो गई है। इन दिनों वहां के किसान मक्के के छोटे पौधों में पीलेपन की शिकायत कर रहे हैं। मिट्टी में पी.एच. स्तर कम होना इस समस्या का मुख्य कारण है। पी.एच. स्तर कम होने पर सल्फर का अवशोषण धीमा हो जाता है। नए पौधे अधिक संवेदनशील होने के कारण उचित मात्रा में सल्फर ग्रहण नहीं कर पाते हैं। जिससे ऊपरी पत्तियों में हल्का पीलापन नजर आने लगता है। आइए इसके अन्य कारण, लक्षण एवं बचाव पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
मक्के के पौधों में पीलापन के कारण
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सल्फर की कमी होना।
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मिट्टी का पी.एच. स्तर 6 से कम होना।
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भूमि में जैविक खाद की कमी होना।
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हवा का आवागमन सुचारु रूप से न होना।
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अत्यधिक वर्षा होना।
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खेत में जल जमाव की स्थिति उत्पन्न होना।
मक्के के पौधों में पीलापन के लक्षण
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शुरुआती अवस्था में नए पत्तों की धमनियों के बीच पीलापन उभरता है।
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धीरे-धीरे पूरी पत्तियां पीली होने लगती हैं।
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समस्या बढ़ने पर पूरा पौधा पीला हो जाता है।
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पौधों के विकास में बाधा आती है।
पौधों को पीलेपन की समस्या से बचाने के तरीके
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मिट्टी के पी.एच. स्तर की जांच कराएं।
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खेत की तैयारी के समय उचित मात्रा में सल्फर खाद का प्रयोग करें। सल्फर पौधों में नाइट्रोजन तत्व के अवशोषण की प्रक्रिया को मदद करता है। जिससे पौधों की हरियाली एवं विकास बनी रहती है।
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खड़ी फसल में सल्फर की कमी के लक्षण नजर आने पर प्रति एकड़ खेत में सल्फर 90 प्रतिशत डब्लूडीजी का प्रयोग करें।
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मक्के की फसल में पीलापन की समस्या पर रोकथाम एवं अन्य रोगों के प्रबंधन के लिए टोल फ्री नंबर 1800-1036-110 के माध्यम से देहात के कृषि विशेषज्ञों से जुड़कर उचित सलाह लें और सही समय पर फसल का बचाव करें। साथ ही अपने नजदीकी देहात केंद्र से उच्च गुणवत्ता के उर्वरक एवं कीटनाशक की खरीदारी जैसी कई सुविधाओं का भी लाभ उठाएं।
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