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मक्का में पोषक तत्वों की कमी होगी दूर, ऐसे करें उर्वरक प्रबंधन
मक्का में पोषक तत्वों की कमी होगी दूर, ऐसे करें उर्वरक प्रबंधन
परिचय
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मक्का मुख्य रूप से एक खरीफ सीजन की फसल है, लेकिन बाजार में इसकी बढ़ती मांग और सभी मौसम के अनुकूल उपलब्ध किस्मों से अब तीनों ही फसल सीजन में इसकी खेती होने लगी हैं।
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मौसम, जलवायु और किस्म के अनुसार फसल में पोषक तत्वों का प्रबंधन भिन्न-भिन्न होता है। इसके अलावा मिट्टी की जांच में प्राप्त आंकड़ों के आधार पर फसल में पोषक तत्व प्रबंधन किया जाना आवश्यक है।
मक्का में बुवाई पूर्व पोषक तत्व प्रबंधन
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मक्का में बुवाई से लगभग 10 से 15 दिन पहले खेत की तैयारी के समय 50 क्विंटल अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद प्रति एकड़ खेत में मिलाएं।
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खेत की तैयारी के समय पर ही 50 किलोग्राम डीएपी, 50 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश की मात्रा प्रति एकड़ की दर से खेत में डाल दें।
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मक्का में अधिक उत्पादन के लिए जिंक सल्फेट एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। जिसकी पूर्ति के लिए प्रति एकड़ 3 से 4 किलोग्राम देहात बायो जिंक की मात्रा प्रति एकड़ के अनुसार प्रयोग करें।।
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ध्यान रहे ! जिंक का प्रयोग किसी भी प्रकार के फास्फोरस युक्त उर्वरक के साथ न करें। यह फसल में जिंक की उपलब्धता को कम करता है।
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मिट्टी जांच में सल्फर की कमी आने पर 10 से 15 किलोग्राम सल्फर प्रति एकड़ की दर से खेत में बुवाई के समय पर डालें।
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वहीं मिट्टी में बोरॉन की कमी आने पर 500 ग्राम बोरॉन की मात्रा का प्रयोग प्रति एकड़ खेत के लिए काफी होता है। खेत में बोरॉन की पूर्ति बुवाई के समय की जानी चाहिए।
बुवाई पश्चात पोषक तत्व प्रबंधन
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खेत में बुवाई के पश्चात पोषक तत्वों की कमी के लक्षण पौधों पर दिखने लगते हैं।
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मिट्टी में नाइट्रोजन की कमी से पत्तियां कम हरी हो जाती है और निचली पत्तियां झड़ने लगती हैं। पौधों में नाइट्रोजन की पूर्ति के लिए 5 किलो यूरिया को 250 लीटर पानी में 2 प्रतिशत यूरिया का घोल तैयार करें और प्रति एकड़ की दर से खेत में छिड़कें।
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खड़ी फसल में बोरॉन की कमी से डंठल पर दरारें बनने लगती हैं और नई कलियां सूखने लगती हैं। पौधों में बोरॉन की कमी को पूरा करने के लिए 0.2 प्रतिशत बोरेक्स के साथ 0.3 प्रतिशत बुझा चूना का उपयोग करें।
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