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कृषि विशेषयज्ञ
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मक्का में करें अरबी की मिश्रित खेती और कमाएं अधिक मुनाफा

मक्का में करें अरबी की मिश्रित खेती और कमाएं अधिक मुनाफा

मक्का की खड़ी फसल में कतारों के बीच अरबी की खेती से किसान अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। अरबी के पौधे बारिश और गर्मियों के मौसम में अच्छे से विकास करते हैं। लेकिन अधिक गर्म और अधिक सर्द मौसम के कारण पौधों में नुकसान देखने को मिल सकता है। इसके अलावा मक्का के साथ अरबी के पौधे लगाने से खेत की निराई-गुड़ाई हो जाती है। जिससे मक्का के पौधों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन और आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त होते हैं। खेत में मक्का कटने के बाद अरबी के लिए उपयुक्त कृषि कार्य किए जा सकते हैं। अगर आप भी मक्का में अरबी की मिश्रित खेती कर अधिक लाभ कमाना चाहते हैं। तो इसके लिए उपयुक्त समय, खेत की तैयारी और उर्वरक प्रबंधन जैसी जानकारी यहां से देखें।

मक्का में अरबी की मिश्रित खेती का समय

  • रबी मक्का की बुवाई अक्टूबर-नवंबर महीने में की जाती है। इसके साथ अरबी की रोपाई जनवरी से फरवरी माह तक की जा सकती है।

  • जायद की मक्का की बुवाई फरवरी-मार्च महीने में की जाती है। इसके साथ अरबी की रोपाई जून से जुलाई मध्य तक करें।

मक्का एवं अरबी की मिश्रित खेती के लिए खेत की तैयारी

  • अरबी की बुवाई के लिए मेड़ की आपस में दूरी 45 सेंटीमीटर रखें। साथ ही कंद की दूरी 30 सेंटीमीटर रखें।

  • अरबी के लिए 3 से 4 क्विंटल कंद का प्रयोग प्रति एकड़ के अनुसार करें।

  • पर्याप्त जीवांश वाली रेतीली दोमट मिट्टी में खेती करें।

  • कंदो के समुचित विकास के लिए गहरी भूमि का चयन करें।

  • भूमि का पी.एच. मान 5.5 से 7 के मध्य होना चाहिए |

  • उचित मात्रा में पानी उपलब्ध होने पर मेड़ और कंद की दूरी को कम किया जा सकता है।

मक्का में अरबी की मिश्रित खेती के लिए उर्वरक प्रबंधन

  • अरबी की बीज बुवाई के समय 10 से 12 टन गोबर की खाद का प्रयोग प्रति एकड़ के अनुसार करें।

  • 40 किलोग्राम नाइट्रोजन, 24 किलोग्राम फास्फोरस और 32 किलोग्राम पोटाश का उपयोग प्रति एकड़ के हिसाब से करें।

  • 20 किलोग्राम नाइट्रोजन और  फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा को प्रति एकड़ के हिसाब से मक्के की कटाई के बाद खेत में डालें।

  • नाइट्रोजन की शेष मात्रा को बराबर बांटकर 30 से 70 दिनों के अंतराल में खेत में डालें।

मक्का में अरबी की मिश्रित खेती में सिंचाई और गुड़ाई

  • जायद की फसल में 6 से 7 दिनों के अंतर में सिंचाई करें।

  • बरसात में नमी कम होने पर 15 से 20 दिन के अंतर में सिंचाई करें।

  • खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए कम से कम दो बार निराई-गुड़ाई करें।

यह भी देखेंः

ऊपर दी गयी जानकारी पर अपने विचार और कृषि संबंधित सवाल आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर भेज सकते हैं। यदि आपको आज के पोस्ट में दी गई जानकारी उपयोगी लगे, तो इसे लाइक करें और अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें। साथ ही कृषि संबंधित ज्ञानवर्धक और रोचक जानकारियों के लिए जुड़े रहें देहात से।

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