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मक्का : जड़ कटुआ कीट का प्रबंधन
मक्का : जड़ कटुआ कीट का प्रबंधन
मक्के की फसल में लगने वाले जड़ कटुआ कीट को कटवर्म भी कहा जाता है। मक्के की फसल को इस कीट से भारी क्षति पहुंचती है। इस कीट की पहचान, प्रकोप का लक्षण एवं बचाव के उपाय जानने के लिए इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें।
कीट की पहचान
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यह कीट मटमैले से गहरे भूरे रंग के होते हैं।
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इन पर धारियां एवं धब्बे बने होते हैं।
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व्यस्क कटुआ कीट की लंबाई 1.5 से 2 इंच तक होती है।
प्रकोप का लक्षण
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यह कीट दिन के समय मिट्टी में छिपे रहते हैं और रात होने पर पौधों पर आक्रमण करते हैं।
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यह जमीन की सतह से पौधों के तनों काटते हैं।
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यह पौधों के सभी भागों को खाने की बजाय तने को काट कर दूसरे पौधों की तरफ बढ़ते हैं।
बचाव के उपाय
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मक्के की बुवाई से पहले खेत में एक बार गहरी जुताई करें। इससे मिट्टी में मौजूद कीट नष्ट हो जाएंगे।
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खेत में खरपतवार न पनपने दें एवं खेत की नियमित साफ-सफाई करें।
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जड़ कटुआ कीट पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ खेत में 150 लीटर पानी में 50 मिलीलीटर देहात कटर मिलाकर छिड़काव करें।
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प्रति एकड़ खेत में 8 किलोग्राम कार्बोफ्यूरान 3 जी का बुरकाव करने से भी इस कीट पर नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है।
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प्रति लीटर पानी में 3 मिलीलीटर क्लोरपायरीफॉस 10 ई.सी मिलाकर पौधों की जड़ों में डालें।
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यदि संभव हो तो जिस पौधे को जड़ कटुआ कीट ने काटा है उस पौधे की मिट्टी खोदें और कीट को बाहर निकाल कर नष्ट कर दें।
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