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कृषि विशेषयज्ञ
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मक्का : दीमक की रोकथाम एवं बचाव के उपाय

मक्का : दीमक की रोकथाम एवं बचाव के उपाय

दीमक समूह में रहने वाले कीट हैं। यह छोटे आकार के एवं चमकीले होते हैं। यह कीट हल्के पीले या भूरे रंग के होते हैं। समूह में रहने एवं तेजी से फैलने के कारण यह कम समय में फसलों को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। दीमक के प्रकोप के कारण उत्पादन में 80 प्रतिशत तक कमी हो सकती है। यह कीट पौधों को किस तरह नुकसान पहुंचाते हैं और इससे बचने के उपाय यहां से देखें।

प्रकोप का लक्षण

  • यदि खेत में पहले से दीमक है तो बीज अंकुरित होने से पहले ही यह कीट बीज को खा कर नष्ट कर देते हैं।

  • अगर बीज अंकुरित हो गई तो यह पौधों के तने को खा कर फसल को क्षति पहुंचाते हैं।

  • दीमक जमीन की सतह के पास तनों को भी काटते हैं।

नियंत्रण के उपाय

  • कच्चे गोबर में दीमक जल्दी पनपते हैं। इसलिए खेत में कच्चे गोबर का प्रयोग न करें।

  • खेत में खरपतवार, फसलों के अवशेष, टहनियां, आदि इकट्ठा न होने दें।

  • खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ भूमि में 1 किलोग्राम बिवेरिया बेसियाना समान रूप से मिलाएं।

  • मक्के की बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 5 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड 20 ई.सी से उपचारित करें।

  • दीमक के प्रकोप को कम करने के लिए प्रति एकड़ खेत में 4 क्विंटल नीम की खली का प्रयोग करें।

  • खड़ी फसल में दीमक का प्रकोप होने पर प्रति लीटर पानी में 5 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड 20 ई.सी मिलाकर छिड़काव करें।

  • इसके अलावा प्रति लीटर पानी में 0.5 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड 200 एस.एल मिलाकर पौधों की जड़ों में डालने से भी इस कीट पर आसानी से नियंत्रण किया जा सकता है।

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हमें उम्मीद है इस पोस्ट में बताई गई दवाएं दीमक पर नियंत्रण के लिए कारगर साबित होगी। अगर आपको यह जानकारी आवश्यक लगी है तो इस पोस्ट को लाइक करें साथ ही इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अन्य किसान मित्र भी इसका लाभ उठा सकें। मक्का की खेती से जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।

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