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मखाना
विभा कुमारी
कृषि विशेषयज्ञ
2 year
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मखाने की खेती में बुवाई के समय दी जाने वाली खाद और उर्वरक की जानकारी

मखाने की खेती में बुवाई के समय दी जाने वाली खाद और उर्वरक की जानकारी

मखाना एक जलीय फसल है। इसकी खेती तालाब एवं झीलों में की जाती है। लेकिन अब इसकी खेती धान के खेतों में भी सफलतापूर्वक की जा सकती है। इसकी खेती बीज की रोपाई के द्वारा की जाती है। राष्टीय एवं अंराष्ट्रीय बाजारों में बढ़ती मांग के कारण मखाना की खेती नकदी फसलों के तौर पर की जाती है। अगर आप भी करना चाहते हैं मखाना की खेती तो अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए खाद एवं उर्वरक प्रबंधन एवं खरपतवार नियंत्रण की जानकारी यहां से प्राप्त करें।

मखाना की फसल में खाद एवं उर्वरक प्रबंधन

  • पारंपरिक विधि से मखाना की खेती करने वाले किसान खाद एवं उर्वरकों का अधिक प्रयोग नहीं करते थे। हालांकि उपयुक्त वातावरण के अनुसार तालाब में खेती करने पर खाद एवं उर्वरकों की आवश्यकता भी कम होती है।

  • तालाब में 50 से 60 सेंटीमीटर मिट्टी की परत होनी चाहिए।

  • इसके बाद जल का स्तर 1 से 1.5 मीटर तक रखें।

  • अच्छी पैदावार सुनिश्चित करने के लिए तालाब में गोबर की खाद एवं हरी खाद को 3:1 के अनुपात में प्रयोग करें।

  • अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए प्रति एकड़ क्षेत्र के अनुसार 40 किलोग्राम नाइट्रोजन, 24 किलोग्राम स्फुर एवं 16 किलोग्राम पोटाश मिलाना चाहिए।

  • पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए प्रति एकड़ क्षेत्र में 6 टन गोबर की खाद मिलाएं।

मखाना की खेती में रखें इन बातों का ध्यान

  • अप्रैल-मई में तापमान तेजी से बढ़ने लगता है। तापमान बढ़ने के साथ पौधों का विकास भी तीव्र गति से होता है। ऐसे में पौधों की पुरानी पत्तियों के गल जाने पर उन्हें काटकर तालाब से बाहर निकाल दें। इससे मखाना के पौधों की वृद्धि अच्छी तरह होगी साथ ही पौधों में फल एवं फूलों की संख्या में भी बढ़ोतरी होगी।

  • फफूंद एवं कीटों के प्रकोप नजर आने पर तालाब में फफूंद एवं कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करें।

मखाना की फसल में खरपतवार पर नियंत्रण

  • शुरुआती दिनों में मखाने की फसल में खरपतवार अधिक निकलते हैं।

  • खरपतवारों की वृद्धि से पौधों के विकास में बाधा आती है। इसलिए कुछ समय के अंतराल पर खरपतवारों को निकालते रहें।

  • खरपतवार पर नियंत्रण के लिए तालाब की नियमित रूप से साफ-सफाई करना आवश्यक है।

  • पौधों की रोपाई के 30 40 दिनों बाद पत्ते तेजी से बढ़ने लगते हैं और खरपतवारों की बढ़वार धीमी हो जाती है।

  • यदि धान की खेत में मखाना की रोपाई की गई है तो निराई-गुड़ाई के द्वारा खरपतवार पर नियंत्रण किया जा सकता है।

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हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अधिक से अधिक किसान मित्र इस जानकारी का लाभ उठाते हुए मखाना की बेहतर पैदावार प्राप्त कर सकें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।

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