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विभा कुमारी
कृषि विशेषयज्ञ
4 year
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मखाना में लगने वाले कीड़े और उनसे बचाव

मखाना में लगने वाले कीड़े और उनसे बचाव

सभी फसलों की तरह मखाना में भी कीड़े लगते हैं। कीड़ों के अलावा मखाना में हाइपरट्रॉफी, फल सड़न जैसे रोग भी होते हैं। कीड़ों की बात करें तो एफिड , केसवर्म, जड़ भेदक जैसे कीट मखाना में मुख्य रूप से पाए जाते हैं। एफिड कीट छोटे या नवजात पौधों में लगते हैं। इससे पौधों की पत्तियों को नुकसान पहुंचता है। केसवर्म कीड़े मखाने के फूलों के लिए हानिकारक होते हैं। वहीं जड़ भेदक कीड़े पौधे की जड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। 0.3 प्रतिशत नीम तेल के घोल का छिड़काव करने से हम एफिड और केसवर्म से पौधों की सुरक्षा कर सकते हैं। मखाना के पौधों को जड़ भेदक कीटों से बचाने के लिए खेत तैयार करते समय लगभग 25 किलोग्राम नीम की खली डालना आवश्यक है।

चलिए अब बात करते हैं मखाना में होने वाले रोगों की :

  • फल सड़न रोग : इस रोग से ग्रसित पौधे देखने में स्वस्थ होते हैं लेकिन इसके अविकसित फल सड़ने लगते हैं। अभी तक फल सड़न पैदा करने वाले कीटों का पता नहीं चला है। कार्बेन्डाजिम और डाइथेन एम .45 के 0.3 प्रतिशत घोल का पत्तियों पर छिड़काव करने से इस रोग पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

  • झुलसा रोग : यह रोग अल्टरनेरिया टिनुईस ऑर्गेनिज्म के कारण होता है। इस रोग में पौधों में फफूंदी लग जाती है। इस रोग के आखिरी चरण में पत्ते पूरी तरह से झुलसे हुए नज़र आते हैं। पौधों को इस रोग से बचने के लिए कॉपर ऑक्सिक्लोराइड , डाइथेन .78 या डाइथेन एम.45 का 0.3 प्रतिशत घोल दो से तीन बार 15 दिन के अंतराल पर छिड़कना चाहिए।

  • हाइपरट्रॉफी (अति अंगवृद्धि) : इस रोग से ग्रसित पौधों के फूल और पत्ते असामान्य वृद्धि के कारण बुरी तरह खराब हो जाते हैं। हालांकि यह मखाना के पौधों के लिए गंभीर बीमारी नहीं मानी जाती है। पौधों में यह रोग डोसानसियोपसिस यूरेली नाम के फफूंदी के कारण भी होता है। इस रोग के कारण पौधों के निचले हिस्से को नुकसान पहुंचता है और फूलों में बीज भी नहीं बन पाते हैं। मखाना के पौधों को इस रोग से बचाने के लिए अभी भी प्रयोग किए जा रहे हैं।


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