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डॉ. प्रमोद मुरारी
कृषि विशेषयज्ञ
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मिर्च: फलों में सड़न रोकने के लिए अपनाएं यह असरदार तरीके

मिर्च: फलों में सड़न रोकने के लिए अपनाएं यह असरदार तरीके

मिर्च न हो तो सब्जियां बेस्वाद सी लगती हैं। केवल सब्जियां ही नहीं, मिर्च के इस्तेमाल से कई अन्य व्यंजनों का ज़ायका भी बढ़ जाता है। मिर्च का उपयोग ताजे, सूखे एवं पाउडर सभी तरह से इस्तेमाल किया जाता है। सभी मौसम में मांग बनी रहने के कारण इसकी खेती से किसानों को मुनाफा भी अधिक होता है। हालांकि इसकी खेती केवल गर्मी एवं ठंड के मौसम में की जाती है। 10 से 35 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान को आसानी से सहन करने वाले मिर्च के पौधे भी रोग एवं कीटों के प्रकोप से अछूते नहीं हैं। बात रही इन दिनों मिर्च की फसल में होने वाली समस्या की तो इन दिनों फलों के सड़ने की समस्या बढ़ने लगी है। यह फसल सड़न रोग का लक्षण है। इस रोग को डाई-बैक रोग के नाम से भी जाना जाता है।

मिर्च की फसल में फल सड़न रोग होने का कारण

  • फल सड़न रोग 'कोलेटोट्रिकम' नामक कवक की वजह से होता है। यह कवक कोमल टहनियों के सिरे से पौधों की तरफ बढ़ते हैं और पत्तियों को सूखाने का काम करते हैं।

  • करीब 28 से 30 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान, वातावरण में 92 प्रतिशत तक उमस होने पर यह रोग तेजी से फैलता है।

  • बारिश के बाद लम्बे समय तक जल जमाव की स्थिति भी इस रोग के फैलने के लिए अनुकूल है।

मिर्च की फसल में फल सड़न रोग के लक्षण

  • पौधों में फूल आने के समय इस रोग की शुरुआत होती है।

  • प्रभावित हिस्सों के परगलित सतह पर काले रंग के धब्बे उभरने लगते हैं।

  • पौधों में फल आने पर फलों में भी सड़न की समस्या शुरू हो जाती है।

  • रोग का प्रकोप बढ़ने पर पौधे मुरझाकर पूरी तरह नष्ट हो जाते हैं

मिर्च की फसल को इस रोग से कैसे बचाएं?

  • बुवाई के लिए रोगमुक्त, स्वस्थ बीज का उपयोग करें।

  • बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम से उपचारित करें।

फल सड़न रोग पर कैसे करें नियंत्रण?

  • इस रोग के शुरूआती लक्षण नजर आने पर प्रति एकड़ खेत में 200 मिलीलीटर एज़ोक्सीस्ट्रोबिन 23% SC या 320 ग्राम क्लोरोथेलोनिल 75% WP का प्रयोग करें।

  • रोग बढ़ने पर प्रति एकड़ खेत में 240 मिलीलीटर एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% SC का छिड़काव करें।

रखें इन बातों का ध्यान

  • बेहतर परिणाम के लिए पौधों में फूल आने से पहले फफूंदनाशक दवा का पहला छिड़काव करें।

  • पौधों में फल आने के समय दूसरी बार फफूंदनाशक दवा का छिड़काव करें।

  • फसल की कटाई के बाद संक्रमित पौधों के अवशेष को नष्ट कर दें।

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इस पोस्ट में बताई गई बातों पर अमल कर के आप फसल को इस रोग से बचा सकते हैं। इसके साथ ही इस इन दवाओं के छिड़काव से रोग को आसानी से नियंत्रित भी कर सकते हैं। मिर्च की फसल से जुड़ी अधिक जानकारियों के लिए देहात टॉल फ्री नंबर 1800-1036-110 पर कॉल कर कृषि विशेषज्ञों से निःशुल्क सलाह प्राप्त करें। साथ ही अपने नजदीकी देहात सेंटर जाकर या देहात हाइपर लोकर सुविधा का फायदा उठाकर घर बैठे ही इस दवाओं की खरीदारी कर सकते हैं।

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