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मिर्च की फसल में मकड़ी के प्रकोप से बन रहे हैं जाल? ऐसे करें नियंत्रण
मिर्च की फसल में मकड़ी के प्रकोप से बन रहे हैं जाल? ऐसे करें नियंत्रण
मिर्च के पौधों में लगने वाला मकड़ी कीट आकार में बहुत ही छोटा होता है, जिसे सामान्यतः खाली आंखों से देख पाना कठिन होता है। मकडियां पत्तियों की निचली सतह पर झुंड में पायी जाती हैं और पत्तियों की शिराओं के पास अंडे देकर रहती हैं। मकड़ी कीट मिर्च की फसल में सबसे घातक तथा ज्यादा नुकसान करने वाला कीट है। कीट के कारण पत्ते मुढ़ने लगते हैं, जिसे विभिन्न स्थानों में मोड़क , कुकड़ा , चुरड़ा - मुरड़ा , सिकोड़ा एवं ककोड़ा रोग के नाम से भी जाना जाता है।
कीट से नुकसान
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वयस्क मकडियां पत्तियों का रस चूसती हैं और पत्तियों के चारों ओर रेशमी, चमकीला जाल तैयार कर लेती हैं।
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कीट के प्रकोप से पत्तियां आकार में छोटी, गुच्छेदार और मुड़ने लगती हैं।
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क्षतिग्रस्त पौधों से निकलने वाली शाखाओं पर भी संक्रमण के लक्षण देखे जाते हैं और देखते ही देखते पूरा खेत इसके प्रकोप में आ जाता है।
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पौधों में फूल कम आते हैं और संक्रमण के कारण पहले से निकले हुए फूल भी झड़ जाते हैं।
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फसल उत्पादन कम हो जाता है।
प्रबंधन
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प्रोपरजाईट 57 प्रतिशत ईसी की 120 मिलीलीटर मात्रा का छिड़काव प्रति टंकी के अनुसार करें।
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नाइट्रोजन उर्वरक का आवश्यकता से अधिक उपयोग न करें।
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इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एसएल की 0.3 मिलीलीटर मात्रा का प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर पौधों पर छिड़काव करें।
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थायामेथोक्साम 25% डब्ल्यू जी की 0.25 ग्राम मात्रा का छिड़काव प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर करें।
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एसिपेट 50% के साथ इमिडाक्लोप्रिड 1.8% एसपी की 1 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर खेत में छिड़कें।
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