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मिर्च की अधिक पैदावार के लिए करें उचित उर्वरक प्रबंधन
मिर्च की अधिक पैदावार के लिए करें उचित उर्वरक प्रबंधन
मिर्च एक संवेदनशील फसल है, जो अधिक धूप, अधिक बारिश जैसी स्थितियों को सहन नहीं कर पाती है। इसके अलावा पोषक तत्वों की कमी, खरपतवारों की समस्या और खेतों में जल जमाव होने जैसे कई कारण भी मिर्च की फसल को खराब करने के लिए जाने जाते हैं। जिस कारण अन्य फसलों की तुलना में मिर्च की फसल को अधिक देख-रेख की आवश्यकता होती है। मिर्च में पोषक तत्वों की बात की जाए तो नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम की आवश्यकता होती है। साथ ही सूक्ष्म पोषक तत्वों जैसे कॉपर, ज़िंक, मॅग्नीज़, कोबाल्ट,आयरन, बोरान, क्लोरीन, निकिल और मॉलिब्डेनम, आदि भी पौधों में बेहतर पैदावार के लिए मिर्च की फसल में विभिन्न खाद एवं उर्वरक के माध्यम से दिए जाते हैं। मिर्च की अधिक पैदावार के लिए पोषक तत्व का इस्तेमाल एवं मात्रा की जानकारी के लिए पोस्ट को पूरा पढ़ें।
मिर्च में पोषक तत्वों की कमी से होने वाले नुकसान
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मिर्च में नाइट्रोजन की कमी से पत्तियां छोटी और पीली होने लगती हैं। साथ ही पौधों पर फल नहीं आते हैं।
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पोटैशियम की कमी से पुरानी पत्तियां किनारों से झुलसने लगती हैं और फल टेढ़े-मेढ़े होने लगते हैं।
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पौधों में कैल्शियम की कमी से फल के निचले सिरे पर भूरे धब्बे पड़ने लगते हैं।
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पौधों में फास्फोरस की कमी फूल न आने का और पत्तियों के मुरझाने का कारण बनती हैं।
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कॉपर की कमी के कारण नई पत्तियों की शिराएं झुलसने लगती हैं।
मिर्च में पोषक तत्वों का प्रयोग और सही मात्रा
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खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ खेत में 10 टन कम्पोस्ट खाद या गोबर की खाद मिलाएं।
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बुवाई के 15 से 20 दिनों पहले प्रति एकड़ खेत में 150-200 क्विंटल रूड़ी की खाद डालकर मिट्टी में अच्छी तरह मिलाएं।
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इसके अलावा खेत की अंतिम जुताई के समय प्रति एकड़ खेत में 30 किलोग्राम यूरिया, 50 किलोग्राम डीएपी और 35 किलोग्राम एम.ओ.पी. खाद मिलाएं।
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पौधों को खेत में लगाने के 10-15 दिनों के बाद 19:19:19 खाद की 2.5-3 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें।
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बुवाई के 40-45 दिनों के बाद देहात बोरोसोल की 20 से 22 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें।
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फूल निकलने के समय उर्वरक मोनो पोटैशियम फॉस्फेट 0:52:34 की 4-5 ग्राम मात्रा और 1 ग्राम बोरॉन का प्रति लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें।
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पोषक तत्वों के छिड़काव से पहले मिट्टी की जांच अवश्य करा लें।
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खेत को तैयार करने के लिए 2-3 बार जुताई करें।
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खेत में 60 सेंटीमीटर की दूरी पर क्यारियां तैयार करें।
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