गर्मी के मौसम में हरे चारे की कमी होती है। ऐसे में कई किसान रबी फसलों की कटाई के बाद एवं खरीफ फसलों की बुवाई से पहले चारे वाली फसलों की खेती करते हैं। यदि आप भी कर रहे हैं चारे वाली फसलों की खेती तो इस समय इन फसलों की देखभाल से जुड़ी जानकारियां होना आवश्यक है। आइए इस पोस्ट के माध्यम से हम मई महीने में चारे वाली फसलों की देखभाल की जानकारी प्राप्त करें।
मई महीने में चारे वाली फसलों की देखभाल
लोबिया : लोबिया की फसल में बुवाई के 40 से 50 दिनों बाद पौधों में फलियां आने लगती हैं। फरवरी-मार्च में इसकी खेती करने वाले किसान इस समय फलियों की तुड़ाई कर सकते हैं। फलियों की तुड़ाई करने के बाद पौधों की कटाई करके इसे हरे चारे के तौर पर प्रयोग करें। इसके अलावा खेत में बची हुई फसल की जुताई करके मिट्टी में मिलाएं। इससे मिट्टी की उर्वरा क्षमता में वृद्धि होती है।
रिजका : इसकी बुवाई अक्टूबर-नवंबर माह में की जाती है। हरे चारे के लिए यदि आपने रिजका की खेती की है तो आप जून महीने तक चारा प्राप्त कर सकते हैं। मई महीने में फसल की कटाई के बाद सिंचाई करें। इससे पौधों का विकास जल्दी होता है और 20 से 25 दिनों के बाद यानी जून महीने में फसल फिर कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
मक्का : गर्मी के मौसम में हरे चारे की पूर्ति के लिए मक्का की खेती करना लाभदायक सिद्ध होता है। मई महीने से जून के दूसरे सप्ताह तक इसकी बुवाई कर लेनी चाहिए।
नेपियर घास : नेपियर घास को एक बार लगाने के बाद चार-पांच वर्षों तक हरा चारा प्राप्त किया जा सकता है। इसलिए किसानों के बीच इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ती जा रही है। यह दुधारू पशुओं के लिए एक पौष्टिक आहार है। इसकी खेती अन्य फसलों के साथ भी आसानी से की जा सकती है। बुवाई के करीब 50 दिनों बाद फसल पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसके बाद 25 से 30 दिनों के अंतराल पर इसकी कटाई करते रहें। मई महीने में कटाई के बाद पौधों के अच्छे विकास के लिए सिंचाई अवश्य करें।
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