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2 May
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मई महीने में इस तरह करें हल्दी की खेती, होगी बेहतर पैदावार

मई महीने में इस तरह करें हल्दी की खेती, होगी बेहतर पैदावार

हल्दी हमारे दैनिक भोजन का एक बहुत बड़ा हिस्सा है। भारत में लगभग सभी प्रकार के भोजन में प्रयोग होने वाला यह मसाला प्राचीन काल से ही अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। हल्दी के गुणों और बाजार में लगातार बनी हुई मांग के कारण किसानों के लिए इसकी खेती हमेशा से ही लाभदायक रही है। हल्दी की खेती अप्रैल से मई के महीने में की जाती है। अलग-अलग किस्मों के अनुसार पौधे 120 दिन से 220 तक पककर तैयार हो जाते हैं, जिनसे प्रति एकड़ लगभग 100 से 150 क्विंटल तक की पैदावार प्राप्त की जा सकती है। अगर आपने अभी तक हल्दी की बुवाई नहीं की है तो 15 मई से आप इसकी बुवाई की शुरुआत कर सकते हैं। बुवाई से संबंधित अधिक जानकारी के लिए इस पोस्ट को पूरा पढ़ें।

बीज की मात्रा और बीज उपचार

  • केवल हल्दी की खेती करने के लिए 8 से 10 क्विंटल प्रति एकड़ की दर से बीज की आवश्यकता होती है।

  • मिश्रित फसल में 4 से 6 क्विंटल प्रति एकड़ बीज पर्याप्त होते हैं।

  • बुवाई के लिए 7 से 8 सेंटीमीटर लंबाई वाले कंद का चुनाव करें। कंद पर कम से कम दो आंखे होनी चाहिए।

  • प्रति लीटर पानी में 2.5 ग्राम थीरम या मैंकोजेब मिलाकर घोल तैयार करें। इस घोल में कंद को 30 से 35 मिनट तक भिगोकर रखें।

  • बीज उपचार के बाद कंद को छांव में सूखा कर ही बुवाई करें।

हल्दी की बुवाई की विधि

  • खेत तैयार करने के लिए 2 बार मिट्टी पलटने वाले हल से और 3 से 4 बार देशी हल या कल्टीवेटर से जुताई करें।

  • हल्दी की बुवाई समतल खेत और मेड़ दोनों ही प्रकार से की जा सकती है।

  • सभी पक्तियों के बीच की दूरी 30 सेंटीमीटर रखें।

  • कंद के बीच की दूरी 20 सेंटीमीटर रखें।

  • कंंद की बुवाई 5 से 6 सेंटीमीटर की गहराई पर करें।

निराई-गुड़ाई की विधि

  • हल्दी की फसल में 3 बार निराई-गुड़ाई की आवश्यकता होती है।

  • हल्दी में पहली निराई-गुड़ाई 35 से 40 दिन के अंतराल पर करें।

  • दूसरी निराई-गुड़ाई  60 से 70 दिनों के बाद करनी चाहिए।

  • तीसरी निराई-गुड़ाई 90 से 100 दिनों के बाद करें।

  • निराई-गुड़ाई के समय पर जड़ों में मिट्टी अवश्य चढ़ाएं।

फसल में सिंचाई

  • हल्दी की फसल में हल्की सिंचाई की आवश्यकता होती है।

  • गर्मी के मौसम में 7 दिनों के अंतराल में सिंचाई करें।

  • ठंड के मौसम 15 दिनों के अंतराल में सिंचाई करें।

  • वर्षा के मौसम में केवल जरूरत पड़ने पर ही सिंचाई करें।

  • खेत में जल निकासी की व्यवस्था रखें।

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ऊपर दी गयी जानकारी पर अपने विचार और कृषि संबंधित सवाल आप हमें कमेंट बॉक्स में लिख कर भेज सकते हैं। यदि आपको आज के पोस्ट में दी गई जानकारी पसंद आई हो तो इसे लाइक करें और अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें। जिससे अधिक से अधिक किसान इस जानकारी का लाभ उठा सकें। साथ ही कृषि संबंधित ज्ञानवर्धक और रोचक जानकारियों के लिए जुड़े रहें देहात से।

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