वसंत ऋतू में आम के वृक्षों में मंजर लगने शुरू हो जाते हैं। मंजर लगने के साथ कई रहत के कीटों एवं रोगों का प्रकोप बढ़ने लगता है। ऐसे में मार्च के महीने में आम के वृक्षों एवं बागों में विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। हमारी जरा सी लापरवाही आम की पूरी फसल को बरबाद कर सकती है। आपकी इस परेशानी को दूर करने के लिए हम इस महीने आम के पौधों एवं बागों में किए जाने वाले कुछ जरूरी कार्यों की जानकारी ले कर आए हैं। हमें उम्मीद है इस पोस्ट में बताई गई बातों पर अमल कर के आप निश्चित ही आम की बेहतर फसल प्राप्त कर सकेंगे। आइए आम की बागवानी में इस समय किए जाने वाले कुछ जरूरी कार्यों की जानकारी पर विस्तार से चर्चा करें।
मध्य मार्च से वर्षा ऋतू के शुरू होने तक आम के वृक्षों में हर 10 से 12 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें। इससे शाखाओं की वृद्धि होगी एवं नए कल्ले सूखने से बचेंगे।
बागों की नियमित साफ-सफाई करें। बाग में खरपतवारों पर नियंत्रण करें।
मार्च महीने में आम के वृक्षों में मंजर आ जाते हैं। मंजर आने के बाद रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग न करें।
मंजर झड़ने की समस्या एवं मंजर को कीटों से बचाने के लिए नीम के तेल का छिड़काव करें।
आम के बाग में मधुमक्खियों का बक्सा रखें। इससे परागण में आसानी होती है।
इस मौसम में वृक्षों में कई तरह के रोगों के होने का भी खतरा बना रहता है। इसलिए कुछ समय के अंतराल पर बागों की निगरानी करते रहें।
मंजरों में पाउडरी मिल्ड्यू रोग होने पर प्रति लीटर पानी में 2 ग्राम घुलनशील गंधक (सल्फर) मिला कर छिड़काव करें।
गुच्छा रोग से प्रभावित मंजर को तोड़ कर नष्ट कर दें।
यह भी पढ़ें :
आम की पत्तियों पर जीवाणु जनित काला धब्बा रोग की जानकारी यहां से प्राप्त करें।
हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अन्य किसान मित्र भी इस जानकारी का लाभ उठा सकें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।
Soil Testing & Health Card
Health & GrowthYield Forecast
Farm IntelligenceAI, ML & Analytics
Solution For FarmersAgri solutions
Agri InputSeed, Nutrition, Protection
AdvisoryHelpline and Support
Agri FinancingCredit & Insurance
Solution For Micro-EntrepreneurAgri solutions
Agri OutputHarvest & Market Access
Solution For Institutional-BuyersAgri solutions