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लीची : वृक्षों को सूखने एवं जड़ों को सड़ने से बचाने से सटीक उपाय
लीची : वृक्षों को सूखने एवं जड़ों को सड़ने से बचाने से सटीक उपाय
लीची के वृक्षों के सूखने एवं जड़ों के सड़ने की समस्या छोटे पौधों यानी 5 वर्ष से कम आयु के पौधों में अधिक होती है। संक्रमित वृक्षों को बचाने का अभी तक कोई सटीक उपाय या दवा ईजाद नहीं की गई है। हालांकि कई बार शुरूआती लक्षण नजर आने पर कुछ दवाओं का छिड़काव करने पर पौधों को पूरी तरह सूखने से बचाया जा सकता है। अगर आप भी कर रहे हैं लीची की बागवानी तो पौधों के सूखने एवं जड़ों से सड़ने के कुछ शुरूआती लक्षण एवं बचाव की जानकारी होना आवश्यक है। आइए इस विषय में विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
लीची के वृक्षों के सूखने एवं जड़ों के सड़ने के कुछ प्रमुख लक्षण
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संक्रमित पौधों की पत्तियां पीले रंग की हो जाती हैं।
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धीरे-धीरे यानी करीब 1 सप्ताह के अंदर पत्तियां मुरझाने लगती हैं।
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4 से 5 दिनों के अंदर पौधे सूख जाते हैं।
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वहीं कुछ क्षेत्रों में जड़ों के सड़ने के कारण पौधे सूखने लगते हैं।
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जड़ें अंदर से लाल रंग की हो जाती हैं।
लीची के वृक्षों के सूखने एवं जड़ों के सड़ने से बचाने के सटीक उपाय
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इस रोग से बचने के लिए जलजमाव वाले क्षेत्रों में लीची की बागवानी करने से बचें।
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संक्रमित डालियों की कटाई करें।
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जैविक नियंत्रण : अरंडी या नीम की खली के साथ ट्राइकोडर्मा या स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस को पौधों की जड़ों के आस-पास की मिट्टी में मिलाएं।
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रासायनिक नियंत्रण : शुरूआती लक्षण नजर आने पर 15 लीटर पानी में 15 से 20 मिलीलीटर कंटाफ प्लस और 30 से 35 ग्राम साफ मिला कर ड्रेचिंग करें।
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नवंबर महीने में लीची के पौधों की देखभाल एवं बाग में किए जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण कार्यों की जानकारी यहां से प्राप्त करें।
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