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लीची : पत्ती लपेटक कीट से बचाव के उपाय
लीची : पत्ती लपेटक कीट से बचाव के उपाय
लीची की बेहतर पैदावार प्राप्त करने के लिए विभिन्न कीटों पर नियंत्रण करना बेहद आवश्यक है। इनमे से एक है पत्ती लपेटक कीट यानी लीफ रोलर। इसका प्रकोप जुलाई से फरवरी महीने के बीच होता है। लीची के पेड़ में फूल निकलने से पहले यानी दिसंबर से फरवरी के बीच सबसे अधिक संख्या में लार्वा पाए जाते हैं। यदि लीची के पेड़ में पत्ती लपेटक कीट का प्रकोप हो रहा है तो बचाव के उपाय यहां से देखें।
प्रकोप का लक्षण
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प्रभावित पेड़ों में फूल काफी कम निकलते हैं, जिसका सीधा असर पैदावार पर होता है।
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मादा कीट नए या कोमल पत्तियों की निचली सतह पर अंडे देती हैं।
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करीब 2 से 8 दिनों के अंदर अंडों से लार्वा निकलता है।
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इस कीट से प्रभावित पेड़ की पत्तियां मुड़ जाती हैं।
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प्रकोप बढ़ने पर पत्तियां मुरझाने लगती हैं।
बचाव के उपाय
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जिन पत्तियों पर अंडे एवं लार्वा दिखे उन्हें तोड़ कर नष्ट कर दें।
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संक्रमित पत्तियों को तोड़ने के बाद प्रति पेड़ में 4 किलोग्राम अरंडी एवं 1 किलोग्राम नीम की खली का प्रयोग करें।
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इसके अलावा बाग में फेरोमोन ट्रैप लगाएं।
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प्रति लीटर पानी में 1 मिलीलीटर अलान्टो या कराटे मिलाकर छिड़काव करें।
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इसके अलावा प्रति लीटर पानी में 1 मिलीलीटर रीजेंट एस.सी. मिलाकर भी छिड़काव कर सकते हैं।
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15 लीटर पानी में 2 ग्राम जम्प मिलाकर छिड़काव करने से भी लीफ रोलर पर नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है।
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आवश्यकता के अनुसार कुछ दिनों के अंतराल पर छिड़काव की प्रक्रिया को दोहराएं।
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लीची के बगीचे में इस हफ्ते किए जाने वाले कार्यों की जानकारी के लिए यहां क्लिक करें।
हमें उम्मीद है इस पोस्ट में बताई गई दवाओं का प्रयोग करके आप पत्ती लपेटक कीट से लीची के पेड़ को बचा सकते हैं। यदि आपको यह जानकारी महत्वपूर्ण लगी है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसान मित्रों के साथ साझा भी करें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।
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