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लीची की खेती + मधुमक्खी पालन
लीची की खेती + मधुमक्खी पालन
लीची की खेती के साथ मधुमक्खी पालन क्यों जरूरी है और कैसे इससे अतिरिक्त लाभ लिया जा सकता है?
लीची के बागान इन दिनों सुंगधित फूलों से महक रहें हैं। लेकिन जानकारी के अभाव में कई बार किसान इसका लाभ नहीं उठा पाते। यहाँ हम आपको बतायेंगे किस प्रकार लीची के बागानों में मधुमक्खीयों के बक्से रखने जरुरी हैं और कैसे किसान इससे अतिरिक्त लाभ ले सकते हैं। यह कितना फ़ायदेमन्द हैं और क्या- क्या सावधानियां इसके लिए बरतनी चाहिए इस बारे में भी हम यहाँ चर्चा करेंगे।
लीची के साथ- साथ मधुमक्खी पालन के फायदे:
लीची के पुष्प-गुच्छ अथवा मंजर में 10% फूलों के खिलने के बाद प्रभावी परागण के लिए मधुमक्खियों का एक अहम योगदान होता है। मधुमक्खियां फूलों से पराग एकत्रित करने के समय पर परागण में मदद करती हैं। इस प्रकार मधुमक्खी के बक्से को लीची के बगीचे में रखना काफी लाभप्रद होता है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार " प्रति हेक्टेयर क्षेत्रफल में 10-15 ऐसे बक्सों को रखने से बेहतर फलन में मदद मिलती है। साथ ही साथ मधुमक्खी पालन कर किसान अच्छी गुणवत्ता का शहद भी पैदा कर सकते हैं जिससे उन्हें अतिरिक्त लाभ होता है।" वहीं लीची के साथ मधुमक्खी पालन करने वाले किसानों का मानना हैं कि मधुमक्खी उनके लिए एक मित्र का काम भी करती हैं। कई बार बागानों में छोटी काली चिड़िया लीची के फूलों में चोंच मारकर उन्हें गिरा देती हैं लेकिन मधुमक्खियां जिन फूलों पर मंडराती हैं, चिड़ियां वहाँ नहीं आती हैं। इससे लीची के फूलों को सुरक्षित रखने में काफ़ी मदद मिलती हैं। जबकि मधुमक्खियां लीची के फूलों को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचाती हैं।
लीची की खेती के साथ मधुमक्खी पालन में क्या सावधानियां रखनी चाहिए?
लीची के बगीचे में फूलों के बाद फल बनने की प्रक्रिया शुरू होते ही मधुमक्खियों के बक्सों को हटाकर ही बगीचे में समुचित छिड़काव किया जाना चाहिए। ऐसा नहीं करने पर मधुमक्खियों के मरने से नुकसान की संभावना रहती हैं। वहीं लीची आधारित शहद की गुणवत्ता और स्वाद की वजह से इसकी बाजार में अच्छी मांग है। साथ ही लीची की उन्नत फसल के लिए इनका बगीचे में होना जरूरी भी माना गया है।
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