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लीची के पौधों में लगे हैं पत्ती छेदक कीट, अपनाएं यह उपाय
लीची के पौधों में लगे हैं पत्ती छेदक कीट, अपनाएं यह उपाय
सितंबर के महीने में लीची के पौधों में कई तरह के कीट आक्रमण करते हैं। जिनमें छाल खाने वाले कीट एवं पत्ती और तना छेदक कीट का प्रकोप सबसे अधिक होता है। पौधों को इन कीटों से बचाने के लिए इस पोस्ट में दिए गए उपायों को अपनाएं।
पत्ती छेदक कीट
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इस तरह के कीट पौधों की नाजुक पत्तियों पर अंडे देते हैं।
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शुरुआत में यह पौधों की नई पत्तियों में छेद करते हैं।
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प्रकोप बढ़ने पौधों की शाखाओं में भी छेद दिखाई देता है।
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इस कीट से प्रभावित पौधों के विकास में बाधा आती है।
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इस कीट का प्रकोप सबसे ज्यादा 8 से 10 वर्ष तक की आयु के पौधों में होता है।
बचाव के उपाय
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इससे बचने के लिए प्रभावित शाखाओं को पौधों से अलग करके नष्ट कर देना चाहिए।
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फलों की तुड़ाई के बाद खेत की जुताई करें। इससे लीची की बाग में खरपतवार पर नियंत्रण होगा और कीट के होने की संभावना भी कम होगी।
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नई पत्तियों एवं कोपलों के निकलने पर हर 15 दिनों के अंतराल पर प्रति लीटर पानी में 1 मिलीलीटर कराटे या अलांटो मिलाकर छिड़काव करें।
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प्रति लीटर पानी में 1 मिलीलीटर क्लोरोपायरिफॉस मिलाकर छिड़काव करने से भी इस कीट से निजात पा सकते हैं।
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इसके अलावा आप प्रति 15 लीटर पानी में 5 मिलीलीटर कटर के साथ 5 मिलिलीटर एक्टिवेटर मिलाकर भी छिड़काव कर सकते हैं।
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आवश्यकता होने पर 7 से 8 दिनों के अंतराल पर 2 से 3 बार इन दवाओं का छिड़काव किया जा सकता है।
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