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लीची : अनियमित फलन का प्रबंधन
लीची : अनियमित फलन का प्रबंधन
विश्व में लीची उत्पादन में भारत को दूसरा स्थान प्राप्त है। अन्तरराष्ट्रीय बाजार में हमारे देश की लीची की भारी मांग रहती है। ऐसे में अच्छी गुणवत्ता के फलों के उत्पादन से किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं। उच्च गुणवत्ता के फल प्राप्त करने के लिए विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। इसमें सिंचाई, खरपतवार नियंत्रण, कीट एवं रोगों पर नियंत्रण, खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग, आदि शामिल हैं। अगर आप कर रहे हैं लीची की खेती तो इस वर्ष उच्च गुणवत्ता के फलों की प्राप्ति के लिए निम्नलिखित बातों पर अमल करें।
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मंजर आने से करीब 3 महीने पहले से सिंचाई का कार्य बंद कर दें। सिंचाई करने से पौधों में नई पत्तियां निकलने लगेंगी और मंजर कम निकलेंगे।
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विभिन्न रोगों एवं कीटों से बचने के लिए बाग के अंदर साफ-सफाई रखें।
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वृक्षों में मंजर आने से 30 दिन पहले प्रति लीटर पानी में 2 ग्राम जिंक सल्फेट मिला कर छिड़काव करने से मंजर एवं फूलों की संख्या में बढ़ोतरी होती है। 15 दिनों के अंतराल पर दोबारा छिड़काव करें।
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मंजर एवं फूल निकलते समय पौधों में कीटनाशक का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
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लीची के नए पौधों की रोपाई के 2 से 3 वर्षों तक 30 किलोग्राम गोबर की खाद, 2 किलोग्राम करंज की खली मिलाएं। यह मात्रा प्रति पौधे के अनुसार दी गई है।
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इसके साथ ही प्रत्येक पौधे में 200 ग्राम यूरिया, 150 ग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट एवं 150 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश भी मिलाएं।
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जिंक की कमी के लक्षण नजर आने पर प्रति वृक्ष 150 से 200 ग्राम जिंक सल्फेट मिलाएं।
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