कई किसानों का मानना है कि लहसुन की फसल में यूरिया का प्रयोग नहीं करना चाहिए। वहीं कई ऐसे भी किसान हैं जो लहसुन की फसल में यूरिया का इस्तेमाल करते हैं। अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि लहसुन की फसल में यूरिया का प्रयोग करना सही है या नहीं ?यदि यूरिया का प्रयोग करना है तो कब एवं कितनी मात्रा में करें? इस पोस्ट के माध्यम से हम आपकी इस समस्या को दूर करेंगे। आइए इस विषय में विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
लहसुन की फसल में यूरिया का प्रयोग करना चाहिए या नहीं?
लहसुन की फसल में यूरिया की बहुत अधिक आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि की पौधों के उचित विकास के लिए नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है। इसलिए इसमें बहुत कम मात्रा में यूरिया का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे पौधों में नाइट्रोजन की पूर्ति भी हो जाए और फसल की गुणवत्ता पर विपरीत प्रभाव भी न हो।
लहसुन की फसल में अधिक मात्रा में यूरिया इस्तेमाल करने के क्या नुकसान हैं?
लहसुन की फसल में आवश्यकता से अधिक मात्रा में यूरिया प्रयोग करने पर खड़ी फसल में इसके नुकसान कम ही नजर आते हैं। लेकिन खुदाई के बाद लहसुन जल्दी खराब हो सकती है। कई बार लहसुन की कलियों पर धब्बे भी नजर आने लगते हैं।
कब करें यूरिया का प्रयोग?
लहसुन की फसल में केवल 2 बार यूरिया का इस्तेमाल करना चाहिए।
बुवाई से ले कर तीसरी सिंचाई के होने तक केवल 1 बार यूरिया का प्रयोग करें।
इसके बाद खुदाई से करीब 30 दिनों पहले दूसरी बार यूरिया का प्रयोग करें।
कैसे करें यूरिया की पूर्ति?
12:32:16 एनपीके खाद या डी.ए.पी खाद में यूरिया मौजूद होता है। इन उर्वरकों का इस्तेमाल कर के हम पहली बार यूरिया की पूर्ति कर सकते हैं। इन उर्वरकों के प्रयोग के बाद अलग से यूरिया का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
यदि आप 12:32:16 एनपीके खाद या डी.ए.पी खाद का प्रयोग नहीं कर रहे हैं तो प्रति एकड़ खेत में 46 प्रतिशत नाइट्रोजन युक्त 25 किलोग्राम की दर से यूरिया का प्रयोग करें।
दूसरी बार कैल्शियम नाइट्रेट का इस्तेमाल कर के हम फसल में यूरिया की पूर्ति कर सकते हैं। इससे फसल में नाइट्रोजन के साथ कैल्शियम की कमी भी पूरी होती है।
इसके अलावा दूसरी बार आप प्रति एकड़ खेत में 20 किलोग्राम की दर से यूरिया का प्रयोग कर सकते हैं।
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