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लहसुन : आर्द्र गलन रोग पर नियंत्रण के उपाय
लहसुन : आर्द्र गलन रोग पर नियंत्रण के उपाय
लहसुन का प्रयोग रसोई में मसालों तक ही सीमित नहीं है। आयुर्वेद में भी इसे एक विशेष स्थान प्राप्त है। कई औषधीय गुणों से भरपूर लहसुन के छोटे पौधे आर्द्र गलन रोग के कारण नष्ट हो जाते हैं। इस घातक रोग के लक्षण एवं पौधों को इस रोग से बचाने के उपाय यहां से देखें।
रोग का कारण
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यह रोग मौसम की अनुकूलता, अधिक ठंड एवं अधिक नमी के कारण होता है।
रोग का लक्षण
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रोग से ग्रस्त पौधों की जड़े गलने लगती हैं।
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रोग बढ़ने पर पौधे नष्ट हो जाते हैं।
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आमतौर पर यह रोग नर्सरी में या छोटे पौधों में होते हैं।
बचाव के उपाय
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इस रोग से बचने के लिए नर्सरी में एवं मुख्य खेत में जल जमाव ना होने दें।
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जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।
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बुवाई से करीब 24 घंटे पहले प्रति किलोग्राम बीज को 2.5 ग्राम कार्बेंडाजिम या थीरम से उपचारित करें।
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इसके बाद प्रति किलोग्राम बीज को 2 ग्राम ट्राइकोडरमा विरिडी से भी उपचारित करें।
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इस पोस्ट में बताई गई बातों पर अमल करके लहसुन के पौधों को आर्द्र गलन रोग से बचा सकते हैं। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसान मित्रों के साथ साझा भी करें। लहसुन की खेती से जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।
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