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लेट्यूस की खेती बनाएगी किसानों को मालामाल
लेट्यूस की खेती बनाएगी किसानों को मालामाल
लेट्यूस को काहू के नाम से भी जाना जाता है। यह हरी पत्तेदार सब्जियों में शामिल है। इसका सबसे अधिक उपयोग सलाद के तौर पर किया जाता है। इससे सूप, सैंडविच, आदि तैयार करने के साथ ही इटैलियन एवं चाइनिज़ व्यंजनों में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। बाजार मूल्य अधिक होने के कारण इसकी खेती किसानों के लिए बहुत लाभदायक सिद्ध होती है। आइए इसकी खेती से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त करें।
लेट्यूस की खेती का उपयुक्त समय
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इसकी नर्सरी सितंबर से अक्टूबर महीने में तैयार की जाती है।
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5 से 6 महीने बाद फसल मुख्य खेत में रोपाई के लिए तैयार हो जाती है।
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अक्टूबर से नवंबर महीने में मुख्य खेत में पौधों की रोपाई करें।
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पहाड़ी क्षेत्रों में इसकी बुवाई फरवरी से जून महीने के बीच की जाती है।
बीज की मात्रा
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प्रति एकड़ भूमि में लेट्यूस की खेती के लिए 325 से 375 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
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1 ग्राम में करीब 800 बीज होते हैं।
उपयुक्त मिट्टी एवं जलवायु
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इसकी खेती लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है।
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अधिक उपज के लिए इसकी खेती रेतली दोमट एवं दानेदार दोमट मिट्टी में करें।
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मिट्टी का पी.एच. स्तर 6 से 6.8 के बीच होना चाहिए।
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उच्च गुणवत्ता की फसल के लिए ठंडे जलवायु की आवश्यकता होती है।
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अधिक तापमान में पत्तियों का स्वाद कड़वा होने लगता है।
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30 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक तापमान में बीज के अंकुरण में कठिनाई होती है।
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अच्छी उपज के लिए 12 से 15 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान सर्वोत्तम है।
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