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औषधीय पौधे
लेमनग्रास
विभा कुमारी
कृषि विशेषयज्ञ
2 year
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लेमन ग्रास की बढ़ी मांग, इस तरह खेती कर कमाएं मुनाफा

लेमन ग्रास की बढ़ी मांग, इस तरह खेती कर कमाएं मुनाफा

लेमनग्रास को नींबू घास के नाम से भी जाना जाता है। यह एक खुशबूदार औषधीय पौधा है। इस पौधे से सिट्रल नामक तेल प्राप्त किया जाता है। लेमनग्रास से प्राप्त तेल का उपयोग औषधि बनाने के अलावा सौंदर्य प्रसाधनों के निर्माण में भी किया जाता है। हमारे देश में प्रतिवर्ष लगभग 1000 मेट्रिक टन लेमनग्रास का उत्पादन होता है। विदेशों में लेमन ग्रास की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। बात करें निर्यात की तो इस समय भारत से करीब 5 करोड़ रुपए का लेमनग्रास तेल निर्यात किया जाता है। ऐसे में लेमन ग्रास की खेती करके किसान अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं। आइए लेमन ग्रास की खेती से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त करें।

लेमन ग्रास की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी एवं जलवायु

  • इसकी खेती के लिए गर्म एवं आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है।

  • अधिक तापमान एवं धूप मिलने पर पौधों में तेल की मात्रा बढ़ती है।

  • इसकी खेती लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में सफलतापूर्वक की जा सकती है।

  • पौधों के विकास के लिए उपजाऊ दोमट मिट्टी सर्वोत्तम है।

  • कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी इसकी खेती कर के बेहतर पैदावार प्राप्त किया जा सकता है।

लेमन ग्रास की खेती का सही तरीका

  • इसकी खेती बीज की बुवाई के साथ पौधों के कलम की रोपाई के द्वारा भी की जा सकती है।

  • बीज के द्वारा खेती करने के लिए सबसे पहले नर्सरी तैयार करनी होती है।

  • नर्सरी तैयार करने में 2 से 3 महीने का समय लगता है।

  • नर्सरी में तैयार किए गए पौधों में कम से कम 10 पत्ते होने के बाद पौधों की रोपाई मुख्य खेत में की जा सकती है।

  • यदि पौधों के कलम से रोपाई करनी है तो कलम की रोपाई सीधा मुख्य खेत में कर सकते हैं।

खेत की तैयारी

  • सबसे पहले एक बार गहरी जुताई करें। इससे खेत में पहले से मौजूद खरपतवार नष्ट हो जायेंगे।

  • इसके बाद 2 से 3 बार हल्की जुताई करके मिट्टी को समतल एवं भुरभुरी बना लें।

  • पौधों एवं कलम की रोपाई के लिए खेत में क्यारियां तैयार करें।

  • सभी कार्यों के बीच 20 सेंटीमीटर की दूरी रखें।

सिंचाई एवं खरपतवार नियंत्रण

  • लेमनग्रास के पौधों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।

  • नर्सरी में तैयार किए गए पौधे या कलम की रोपाई के बाद हल्की सिंचाई करें।

  • वर्षा होने पर सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।

  • गर्मी के दिनों में 8 से 10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।

  • ठंड के मौसम में 12 से 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए।

  • खरपतवार पर नियंत्रण के लिए प्रतिवर्ष 2 से 3 बार निराई गुड़ाई करें।

फसल की कटाई

  • एक बार लेमन ग्रास की खेती करके करीब 5 वर्षों तक फसल प्राप्त किया जा सकता है।

  • पौधों की रोपाई के 90 दिनों बाद फसल पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती है।

  • प्रत्येक वर्ष 4 से 5 बार फसल की कटाई की जा सकती है।

  • पौधों की कटाई भूमि की सतह से 10 से 15 सेंटीमीटर की ऊंचाई से करें।

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