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लौकी : करें इन किस्मों की खेती, होगी बेहतर पैदावार
लौकी : करें इन किस्मों की खेती, होगी बेहतर पैदावार
कद्दू वर्गीय सब्जियों में लौकी का प्रमुख स्थान है। इसकी खेती खरीफ मौसम के साथ जायद मौसम में भी की जाती है। लौकी का सबसे अधिक प्रयोग सब्जी बनाने में किया जाता है। इसके अलावा इससे पकौड़े, दाल, रायता, मिठाइयां एवं कई अन्य स्वादिष्ट व्यंजन तैयार किए जाते हैं। गर्मी में मौसम में लौकी की मांग बढ़ने लगती है। इसलिए इसकी खेती किसानों के लिए बहुत लाभदायक साबित होती है। आइए लौकी की खेती से पहले इसकी कुछ बेहतरीन किस्मों पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
लौकी की कुछ बेहतरीन किस्में
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काशी गंगा : यह अधिक पैदावार देने वाली किस्मों में शामिल है। इसके फल हरे रंग के होते हैं। फलों की लम्बाई 1 से 1.5 फीट तक होती है। इस किस्म की बुवाई के करीब 50 से 55 दिनों बाद फल आने शुरू हो जाते हैं। प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर 160 से 180 क्विंटल तक पैदावार होती है।
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अर्का बहार : इस किस्म की खेती खरीफ एवं जायद दोनों मौसम में की जा सकती है। बीज की बुवाई के करीब 120 दिनों बाद फलों की तुड़ाई की जा सकती है। प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर 160 से 220 क्विंटल तक लौकी की उपज होती है।
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नरेंद्र रश्मि : इस किस्म के प्रत्येक फल का वजन लगभग 1 किलोग्राम तक होता है। प्रत्येक पौधे से कम से कम 10 से 12 फल प्राप्त किए जा सकते हैं। बुवाई के 60 दिनों बाद फल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं। प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर 120 क्विंटल तक पैदावार होती है।
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पंजाब गोल : इस किस्म के फल आकार में गोल, नरम एवं चमकीले होते हैं। प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर 70 क्विंटल तक लौकी की पैदावार होती है।
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