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लौकी की अच्छी पैदावार के लिए करें उचित खाद प्रबंधन

लौकी की अच्छी पैदावार के लिए करें उचित खाद प्रबंधन

लौकी एक महत्वपूर्ण कद्दूवर्गीय सब्जी है। इसकी फसल खरीफ और जायद दोनों मौसम में की जाती है। फसल से  अच्छी पैदावार लेने के लिए सही देखभाल की जरूरत होती है। लेकिन कई बार फसल को उचित खाद नहीं मिलता है, जिससे पैदावार पर असर पड़ता है। वहीं खाद की कमी से फसल को नुकसान होता है। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति प्रभावित होती है। इसलिए किसानों को अच्छी पैदावार के लिए उचित खाद प्रबंधन की जानकारी होना आवश्यक है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से किसानों को उचित खाद प्रबंधन की जानकारी बताएंगे। जिससे किसान फसल से अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकें। जानने के लिए पढ़िए यह आर्टिकल।

लौकी में पोषक तत्वों की कमी से होने वाले नुकसान

  • नाइट्रोजन की कमी से बेल का रंग हल्का हरा और कल्लों की संख्या कम हो जाती है।

  • नाइट्रोजन की कमी से पत्तियां कभी-कभी जल जाती है।

  • बेल पर फल पकने से पहले गिर जाते हैं।

  • फास्फोरस की कमी से बेल का विकास रुक जाता हैं तथा पत्तियाँ पीली होकर सूख जाती है।

  • पोटाश की कमी से पत्तियों का किनारा कटा-फटा हो जाता है।

  • सल्फर की कमी से पौधे पीले, हरे, पतले और आकार में छोटे हो जाते हैं तथा पौधों का तना पतला और कड़ा हो जाता है।

  • बोरॉन की कमी से फसल की उपज बहुत ही कम होती है।

  • कीटों का प्रकोप अधिक हो जाता है।

  • पैदावार कम हो जाती है।

  • खेत में खरपतवार का प्रकोप अधिक देखने को मिलता है।

लौकी की फसल में उचित खाद प्रबंधन

  • फसल से बेहतर पैदावार लेने के लिए बुवाई से पहले एक एकड़ खेत में 150 से 200 क्विंटल गोबर खाद का प्रयोग करें।

  • एक एकड़ खेत में 20 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट, 2-3 क्विंटल नीम की खली, 50 किलोग्राम डीएपी खाद, 20 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश, 15 किलोग्राम जिंक सल्फेट तथा 10 किलोग्राम बोरेक्स का इस्तेमाल खेत तैयार करते समय करें।

  • फसल में 28 किलोग्राम नाइट्रोजन या 60 किलोग्राम यूरिया का इस्तेमाल प्रति एकड़ के हिसाब से करें।

  • नाइट्रोजन को 3 बराबर भागों में बांटकर, एक हिस्से का इस्तेमाल खेत की बुवाई के समय करें।

  • बाकी बची हुई नाइट्रोजन को 30 व 45 दिन बाद के अंतराल पर फसल में छिड़कें।

  • खेत की अंतिम जुताई के समय 16 किलोग्राम फॉस्फोरस का प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग करें।

  • अधिक तापमान होने के कारण फूल गिरने शुरू हो जाते हैं तो इससे बचने के लिए पलैनोफिक्स (एन ए ए) 5 मिलीलीटर को प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर फूल निकलने के समय छिड़काव करें।

  • 20-25 दिन बाद यह स्प्रे दोबारा करें।

  • खेत में उर्वरक प्रबंधन के प्रयोग से पहले अपनी मिट्टी की जांच अवश्य करा लें।

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आशा है कि यह जानकारी आपके लिए लाभकारी साबित होगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा लाइक करें और अपने किसान मित्रों के साथ जानकारी साझा करें। जिससे अधिक से अधिक लोग इस जानकारी का लाभ उठा सकें और लौकी की फसल में उचित खाद प्रबंधन कर, फसल से अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकें। इससे संबंधित यदि आपके कोई सवाल हैं तो आप हमसे कमेंट के माध्यम से पूछ सकते हैं। कृषि संबंधी अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए जुड़े रहें देहात से।



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