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लौकी : जड़ों में हो रहा फफूंद जनित रोग, जानें नियंत्रण के तरीके
लौकी : जड़ों में हो रहा फफूंद जनित रोग, जानें नियंत्रण के तरीके
लौकी के छोटे पौधे फफूंद जनित रोग से जल्दी प्रभावित होते हैं। लौकी की फसल को प्रभावित करने वाले फफूंद जनित रोगों में गलका रोग, तना सड़न रोग, जड़ गलन रोग, बैक्टेरियल विल्ट रोग, मृदुरोमिल आसिता रोग, आदि शामिल हैं। सही जानकारी नहीं होने के कारण इन रोगों पर नियंत्रण करने में किसानों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। आइए इस पोस्ट के माध्यम से हम लौकी की फसल को क्षति पहुंचाने वाले फफूंद जनित रोगों पर नियंत्रण की विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
फफूंद जनित रोग का लक्षण
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पौधों की पत्तियां पीली होने लगती हैं।
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रोग बढ़ने पर तना भी गलने लगता है।
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कुछ समय बाद पौधा नष्ट हो जाता है।
फफूंद जनित रोग पर नियंत्रण के तरीके
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इस रोग पर नियंत्रण के लिए 15 लीटर पानी में 30 ग्राम मेटालैक्सिल 8% + मैंकोजेब 64% मिला कर छिड़काव करें। यह दवा बाजार में टाटा मास्टर या मैटको नाम से उपलब्ध है।
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प्रति एकड़ खेत में 25 ग्राम सिंजेंटा रिडोमिल गोल्ड मिला कर छिड़काव करने से भी हम इस रोग पर नियंत्रण कर सकते हैं।
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इसके अलावा आप 15 लीटर पानी में 10 ग्राम बायर नेटिवो नामक दवा मिला कर भी छिड़काव कर सकते हैं।
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