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लौकी : गलका रोग के लक्षण एवं नियंत्रण के सटीक उपाय
Author : Surendra Kumar Chaudhari
लताओं वाली सब्जियों में लौकी की खेती प्रमुखता से की जाती है। इसके फल गोल एवं लंबे आकार के होते हैं। लौकी में विटामिन बी, कैल्शियम, आयरन, जिंक, पोटैशियम, मैग्निशियम, मैग्नीस, आदि कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। लौकी के सेवन से हम कई रोगों से निजात पा सकते हैं। पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण लौकी की मांग हमेशा बनी रहती है।
बात करें लौकी की पैदावार की तो अच्छी उपज के लिए पौधों को कई रोगों से बचाना आवश्यक है। लौकी के पौधों में लगने वाले कुछ प्रमुख लोगों में से एक है गलका रोग। आइए इस पोस्ट के माध्यम से हम लौकी की फसल में लगने वाले गलका रोग के लक्षण एवं इस पर नियंत्रण के तरीकों पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
गलका रोग के लक्षण
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छटे फल इस रोग के प्रकोप से अधिक प्रभावित होते हैं।
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इस रोग की शुरुआत में फलों का ऊपरी हिस्सा सूखने लगता है।
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कुछ समय बाद पूरे फल सड़ने लगते हैं।
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सड़ने-गलने के कारण फलों का रंग भूरा हो जाता है।
इस रोग पर नियंत्रण के तरीके
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15 लीटर पानी में 25 ग्राम देहात फुल स्टॉप मिला कर छिड़काव करने से इस रोग पर पूरी तरह नियंत्रण किया जा सकता है।
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इसके अलावा प्रति लीटर पानी में 2 ग्राम मैनकोज़ेब मिलाकर छिड़काव करें।
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प्रति लीटर पानी में 2 मिलीलीटर कार्बेंडाजिम मिलाकर छिड़काव करने से भी इस रोग से निजात पा सकते हैं।
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आवश्यकता होने पर 15 दिनों के अंतराल पर दोबारा छिड़काव कर सकते हैं।
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इस रोग पर नियंत्रण के लिए 15 लीटर पानी में 40 ग्राम ब्लू कॉपर एवं 2 ग्राम स्ट्रेप्टोमायसिन मिलाकर छिड़काव करें।
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हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अन्य किसान मित्र भी लौकी की फसल को गलका रोग से बचा सकें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।
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9 July 2021
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