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लाल साग में बढ़वार के लिए ऐसे करें एनपीके खाद का इस्तेमाल

लाल साग में बढ़वार के लिए ऐसे करें एनपीके खाद का इस्तेमाल

लाल साग एक पत्तियों वाली सब्जी है। इसको चौलाई के नाम से भी जाना जाता है। इसमें अनेक औषधीय गुण होते हैं, इसलिए इसका उपयोग आर्युवेद में किया जाता है। चौलाई एकमात्र ऐसा पौधा हैं जिसके अंदर सोने की मात्रा पाई जाती हैं। औषधि के लिए चौलाई के पंचाग यानी जड़, पत्ते, डंठल, फूल और फल पांचो अंग काम में लिए जाते हैं। इस पर लाल या बैंगनी रंग के फूल आते हैं। यह कम लगत में अच्छा मुनाफा देने वाली फसल है। इसकी उपज के लिए सही देखभाल एवं खाद का ध्यान रखना चाहिए। आइये जानते हैं फसल की बढ़वार के लिए किस मात्रा में एनपीके खाद का इस्तेमाल करना है।

एनपीके की कमी से फसल में होने वाले नुकसान

  • नाइट्रोजन की कमी से पौधों का विकास रुक जाता है और पत्ती पीली पड़ने लगती है।

  • पोटैशियम की कमी से जड़ और तनों का विकास प्रभावित होता है।

  • फॉस्फोरस की कमी से फूल और पत्ती गिरने लगते हैं। साथ ही पौधों की पत्तियों के किनारे धब्बे पड़ने लगते हैं।

फसल में एनपीके का इस्तेमाल

  • लाल साग के विकास के लिए उचित खाद का इस्तेमाल करना चाहिए।

  • मिट्टी की जांच के बाद ही उर्वरकों का इस्तेमाल करें।

  • खेत में 10 से 15 टन गोबर की खाद का प्रयोग करें।

  • प्रति एकड़ खेत में एनपीके 50:50:20 खाद का प्रयोग करें।

  • बीज की रोपाई से पहले एक एकड़ खेत में 20 किलोग्राम नाइट्रोजन और 20 किलोग्राम फॉस्फोरस का आखिरी जुताई के समय इस्तेमाल करें।

  • आखिरी जुताई के समय एक एकड़ खेत में 4 से 6 किलोग्राम पोटाश का उपयोग करें।

  • पौधों के जल्दी विकास के लिए प्रत्येक हरी फसल की कटाई के बाद पौधों में 10 किलोग्राम यूरिया दें।

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आशा है कि यह जानकारी आपके लिए लाभकारी साबित होगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा लाइक करें और अपने किसान मित्रों के साथ जानकारी साझा करें। जिससे अधिक से अधिक लोग इस जानकारी का लाभ उठा सकें और लाल साग में उचित मात्रा में एनपीके का इस्तेमाल कर, फसल से अधिक लाभ प्राप्त कर सकें। इससे संबंधित यदि आपके कोई सवाल हैं तो आप हमसे कमेंट के माध्यम से पूछ सकते हैं। कृषि संबंधी अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए जुड़े रहें देहात से।



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