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लाल साग की खेती

लाल साग की खेती

लाल साग कहें या चौलाई, पत्तेदार सब्जियों में इसकी खेती प्रमुखता से की जाती है। लाल साग की जड़ें, तना, डंठल एवं पत्तियां सभी का उपयोग किया जाता है। इसमें विटामिन सी, विटामिन ए, प्रोटीन एवं खनिज तत्व प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसलिए इसका उपयोग कई आयुर्वेदिक औषधियों में भी किया जाता है। किस्मों की बात करें तो इसकी करीब 60 किस्में पाई जाती हैं। आइए लाल साग की खेती से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियों पर चर्चा करें।

लाल साग की बुवाई का उपयुक्त समय

  • गर्मी एवं वर्षा ऋतू में इसकी खेती सफलतापूर्वक खेती की जाती है।

  • इसकी बुवाई फरवरी से मार्च महीने में की जाती है।

  • इसके अलावा जुलाई महीने में भी इसकी बुवाई की जाती है।

उपयुक्त मिट्टी एवं जलवायु

  • इसकी खेती कार्बनिक पदार्थ से भरपूर उचित जल निकासी वाली भूमि में की जाती है।

  • जल भराव वाली भूमि में खेती न करें।

  • मिट्टी का पी.एच स्तर 6 से 8 होना चाहिए।

  • शीतोष्ण और समशीतोष्ण जलवायु इसकी खेती के लिए उपयुक्त है।

  • 20 से 25 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान अंकुरण के लिए बेहतर होता है।

  • पौधों के विकास के लिए 30 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है।

  • सिंचाई की उचित व्यवस्था होने पर 40 डिग्री तापमान में भी पौधों का अच्छा विकास होता है।

बीज की मात्रा

  • प्रति एकड़ खेत में 1 से 1.2 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।

हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। आने वाले पोस्ट में हम चौलाई की खेती से जुड़ी कुछ अन्य जानकारियां साझा करेंगे। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अन्य किसान मित्र भी यह जानकारी प्राप्त कर सकें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।

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