उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, में कटहल की खेती प्रमुखता से की जाती है। कटहल के कच्चे फलों का प्रयोग सब्जी, अंचार आदि बनाने में किया जाता है। वहीं इसके पके फलों को ताजे फलों की तरह उपयोग किया जाता है। कटहल की खेती करने वाले किसानों के सामने फूलों के गिरने की समस्या अक्सर आती है। फूलों के गिरने का सीधा असर पैदावार पर होता है। ऐसे में इस पोस्ट के माध्यम से निश्चित ही आपकी यह समस्या दूर होगी। यहां से आप कटहल के फूलों का कारण एवं बचाव के तरीके जान सकते हैं। आइए इस समस्या पर थोड़ी विस्तार से चर्चा करें।
फूलों के गिरने का कारण
नाइट्रोजन की अधिकता के कारण पौधों में कार्बोहाइड्रेट का संचयन नहीं होता है। यह फूलों के गिरने का एक प्रमुख कारण है।
पोषक तत्व जैसे फास्फोरस, सल्फर, बोरोन, आदि की कमी होने पर भी फूल गिरने लगते हैं।
जलवायु में परिवर्तन होने पर पौधों में विपरीत असर होता है। फल स्वरूप पौधों एवं वृक्षों में लगे फूल गिरने लगते हैं।
कई बार कुछ रस चूसक कीटों का प्रकोप होने पर भी यह समस्या उत्पन्न हो जाती है।
कैसे करें नियंत्रण?
संतुलित मात्रा में नाइट्रोजन का छिड़काव करें।
सही समय पर उचित मात्रा में पोषक तत्वों एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों का प्रयोग करें।
फूलों को गिरने से बचाने एवं फूलों और फलों की संख्या में वृद्धि के लिए 15 लीटर पानी में 2 मिलीलीटर देहात फ्रूट प्लस से साथ 5 मिलीलीटर एक्टिवेटर मिला कर छिड़काव करें।
रस चूसक कीटों से निजात पाने के लिए 150 लीटर पानी में 50 मिलीलीटर देहात हॉक मिलाकर पौधों के ऊपर छिड़काव करें।
हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसान मित्रों के साथ साझा भी करें। जिससे अन्य किसानों तक भी यह जानकारी पहुंच सके और अधिक से अधिक किसान इस समस्या से निजात पा सकें। कटहल की खेती से जुड़े सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।
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