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प्रौद्योगिक खेती
डॉ. प्रमोद मुरारी
कृषि विशेषयज्ञ
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कृषि में डिजिटल सशक्तिकरण

कृषि में डिजिटल सशक्तिकरण

कृषि में डिजिटल सशक्तिकरण का अर्थ है कृषि में नई तकनीकों का इस्तेमाल करना। यूरोप, अमेरिका, लेटिन अमेरिका और पश्चिम एशियाई देशों में इसका चलन तेजी से बढ़ रहा है। डिजिटल खेती सदियों से चली आ रही पारंपरिक खेती से पूरी तरह अलग है। इसमें ड्रोन, जीपीएस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आदि नई तकनीकों के द्वारा खेती की जाती है। नई तकनीकों एवं मशीनों के कारण शुरुआत में इसमें लागत अधिक होती है। लेकिन कुछ समय बाद लागत कम हो जाती है। कृषि में डिजिटल सशक्तिकरण में किसानों को डिजिटल माध्यम से खेती के गुण सिखाए जाते हैं।

खेती में डिजिटल सशक्तिकरण के तहत किसानों को मोबाइल ऐप के द्वारा कृषि की जानकारियां जैसे फसल उत्पादन, फसलों की उपज में बढ़ोतरी, फसल संरक्षण, फसल भंडारण आदि की जानकारियां दी जाती हैं। देहात किसान ऐप के माध्यम से आप फसलों की जानकारी, वैज्ञानिक पद्धति, मौसम की जानकारी, रोग निवारण, कीट प्रबंध, स्थानीय मंडी का भाव, मिट्टी की जांच आदि कई कृषि संबंधित जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं।

विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार आप नजदीकी देहात केंद्र से कृषि के लिए आवश्यक इनपुट जैसे खाद, बीज एवं कीटनाशक आदि की खरीदारी भी कर सकते हैं। सभी खरीदारियों के लिए डिजिटल माध्यम से भुगतान भी आसानी से किया जा सकता है। इसके साथ ही किसान फेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप के द्वारा भी बेहतर खेती के तरीके सीख सकते हैं। केवल एक फोटो भेज कर आप देहात कृषि विशेषज्ञों से अपनी समस्या का समाधान और मुफ्त कृषि सलाह प्राप्त कर सकते हैं।

कृषि में ड्रोन का प्रयोग भी बहुत लाभकारी सिद्ध सकता है। इसकी मदद से किसान घर बैठे फसलों का निरीक्षण कर सकते हैं। साथ ही ड्रोन तकनीक की मदद से खेत में खाद-उर्वरक एवं कीटनाशक का छिड़काव, सिंचाई पर निगरानी जैसे काम भी सरलता से किए जा सकते हैं।

हमारे देश के किसान अगर डिजिटल सशक्तिकरण के महत्व को समझ कर इसे अपना लें तो कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति आ जाएगी।

अगर आपको यह जानकारी महत्वपूर्ण लगी है तो इस पोस्ट को लाइक करें और अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।

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