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करेले की पत्तियों के सिकुड़ने का कारण एवं नियंत्रण के तरीके

करेले की पत्तियों के सिकुड़ने का कारण एवं नियंत्रण के तरीके

बेल वाली फसलों में करेला की खेती प्रमुखता से की जाती है। मधुमेह रोगियों के लिए इसका सेवन बहुत फायदेमंद है। कई अन्य स्वास्थ्य लाभ के कारण बाजार में इसकी मांग बढ़ती जा रही है। बात करें इसकी खेती की तो अच्छी पैदावार के लिए फसल को कई रोगों से बचाना आवश्यक है। इन रोगों में पत्तियों का सिकुड़ना भी शामिल है। अगर आप भी कर रहे हैं करेले की खेती तो अधिक उत्पादन एवं उच्च गुणवत्ता की फसल प्राप्त करने के लिए पत्तियों के सिकुड़ने से बचाना जरुरी है। आइए इस पोस्ट के माध्यम से हम करेले की पत्तियों के सिकुड़ने का कारण, इससे होने वाले नुकसान एवं रोकथाम के तरीको पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।

पत्तियों के सिकुड़ने का कारण

  • कई विषाणु जनित रोगों के कारण करेले की पत्तियां सिकुड़ने लगती हैं।

  • फसल में रस चूसक कीटों का प्रकोप होने पर पत्तियां सिकुड़ने लगती हैं।

पत्तियों के सिकुड़ने से होने वाले नुकसान

  • पौधे में फूल एवं फल नहीं आते हैं।

  • यदि फल आ गए तो फलों का आकार छोटा रह जाता है।

  • पौधों के विकास में बाधा आती है।

पत्तियों को सिकुड़ने से बचाने के तरीके

  • पौधों को कई विषाणु जनित रोगों से बचाने के लिए बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 3 ग्राम कार्बेंडाजिम से उपचारित करें।

  • विषाणु जनित रोगों पर नियंत्रण के लिए 15 लीटर पानी में 10 ग्राम अरेवा के साथ 40 मिलीलीटर वाइरोलीन और 5 मिलीलीटर स्टीकर मिला कर छिड़काव करें।

  • रस चूसक कीटों पर नियंत्रण के लिए 150 लीटर पानी में 50 मिलीलीटर देहात हॉक मिला कर छिड़काव करें।

  • इसके अलावा 15 लीटर पानी में 5 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रीड 17.8% एस.एल. मिला कर छिड़काव करने से भी रस चूसक कीटों पर नियंत्रण कर सकते हैं।

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