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कल्पना
कृषि विशेषयज्ञ
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करें आलुओं की ग्रेडिंग, मिलेगा बेहतर मुनाफा

आलू ऐसी फसल है जिसकी खेती में लागत कम आती है। जिसका सीधा असर किसानों को मुनाफे के तौर पर प्राप्त होता है। यह ऊर्जा का एक अच्छा स्रोत है। आलू के कंदों का आकार, इसमें मौजूद पोषक तत्व, जैसे सभी मानकों पर खरे उतरने के कारण भारत में उगाई गई आलुओं की मांग पूरे विश्व में होती है। लेकिन यदि इसकी सही ग्रेडिंग न की जाए तो आलू के उत्पादकों से ले कर विक्रेताओं तक, सभी को नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। मंडी में आलू की कीमत में संतुलन बनाए रखने के लिए 'आलुओं की ग्रेडिंग' करना बहुत जरूरी है। यह एक ऐसी प्रक्रिया जिसमें कंदों को उसके आकार के आधार पर विभाजित किया जाता है। आज भी देश में कई किसानों को आलू की ग्रेडिंग की सही जानकारी नहीं है। जिससे उन्हें आलू की बिक्री पर उचित मूल्य नहीं मिल पाता है।

आलू की ग्रेडिंग के क्या हैं फायदे?

  • ग्रेडिंग करने से मंडी में आलू की कीमत निर्धारित करने में आसानी होती है।

  • उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर आलू प्राप्त होता है।

  • व्यापार में होने वाली लागत में कमी आती है।

  • आलू के निर्यात में सुविधा होती है।

  • गुणवत्ता के आधार पर कंद की बिक्री आसानी से होती है।

  • आलू के उत्पादक एवं विक्रेता दोनों को उचित मुनाफा प्राप्त होता है।

आलू की ग्रेडिंग के प्रकार

  • आलू की ग्रेडिंग 4 तरह से की जाती है। जिनमें सुपर ग्रेड ग्रेड बी एवं ग्रेड सी शामिल है।

  • 'सुपर ग्रेड' में सबसे उच्च गुणवत्ता के आलू शामिल होते हैं। इस श्रेणी में शामिल आलू के कंदों का आकार 65 मिलीमीटर से बड़ा होता है।

  • 'ग्रेड ए' श्रेणी में शामिल आलू के कंद 45 से 65 मिलीमीटर के बीच होते हैं।

  • 'ग्रेड बी' में शामिल आलू के कंदों का आकार 35 से 45 मिलीमीटर तक होता है।

  • वहीं 'ग्रेड सी' श्रेणी में शामिल आलुओं की बिक्री नहीं की जाती है। इस श्रेणी में शामिल आलू के कंदों का उपयोग सामान्यतः बुवाई के लिए किया जाता है। यह आकार में इतने छोटे होते हैं कि बुवाई के समय इसे काटने की आवश्यकता नहीं होती।

कैसे करें आलू की ग्रेडिंग?

  • आलू के कंदों की ग्रेडिंग हाथों से की जाती है। इसमें समय एवं श्रम की आवश्यकता अधिक होती है।

  • इन दिनों बाजार में कई तरह के ग्रेडर उपलब्ध है। जिसके द्वारा आलू की ग्रेडिंग का काम बहुत कम समय में एवं आसानी से किया जा सकता है।

हाथों से कैसे करें ग्रेडिंग?

  • इसके लिए विभिन्न व्यास के गोल छेद वाले छलनी का इस्तेमाल किया जाता है।

  • इस तरह की दो छलनियों  को एक के ऊपर एक रखा जाता है।

  • दो व्यक्ति इन छलनियों को दोनों तरफ से पकड़ कर हिलाते हैं।

  • वहीं तीसरा व्यक्ति लगातार छलनी में आलू डालता जाता है।

  • छलनी को चेन या रस्सी पर लटका कर भी ग्रेडिंग किया जा सकता है।

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आलू की ग्रेडिंग एवं इसकी खेती से जुड़े अपने सवाल बेझिझक हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें। आप हमारे टोल फ्री नंबर 1800-1036-110 पर संपर्क कर के कृषि विशेषज्ञों से परामर्श भी ले सकते हैं। इस जानकारी को अन्य किसानों तक पहुंचाने के लिए इस पोस्ट को लाइक एवं शेयर करना न भूलें।

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