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कपास में सफ़ेद मक्खी कीट का प्रकोप और उचित रोकथाम
कपास में सफ़ेद मक्खी कीट का प्रकोप और उचित रोकथाम
सफ़ेद मक्खी एक बहुभक्षी कीट है जो कपास की प्रांरभिक अवस्था से लेकर कटाई तक फसल की बढ़वार को निरंतर रूप से प्रभावित करता है। यह एक सफेद रस चूसक कीट होता है, जो अक्सर पत्तियों के नीचे झुंड में पाया जाता है। पौधों को हिलाने पर यह सफ़ेद पतंगों के रूप में उड़ते हुए देखा जा सकता है। कीट के लार्वा एवं व्यस्क कपास के पत्तों के निचले हिस्से से लगातार रस चूसते रहते हैं और शहदनूमा चिपचिपा पदार्थ छोड़ देते हैं। जिसपर फफूंदी लग जाने के कारण पत्ते काले पड़ जाते हैं।
कीट से होने वाले नुकसान
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पत्तियों से लगातार रस चूसने के कारण पत्तियों का हरा रंग कम होने लगता है। जिससे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया बाधित होती है और पौधे अपना भोजन नहीं बना पाते हैं।
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उपज और उत्पादन की गुणवत्ता पर 50 से 60 प्रतिशत तक नुकसान हो सकता है।
रोकथाम के उपाय
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कीट से बचाव के लिए कपास की फसल का हर सप्ताह बारीकी से निरीक्षण करें।
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निरीक्षण के दौरान सफेद मक्खी के छह से आठ व्यस्क कीट प्रति पत्ता दिखने पर ही कीटनाशक का छिड़काव करें।
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कपास के खेत में व आसपास खरपतवार जैसे कांगी बूटी, पीली बूटी, कांग्रेस घास, जंगली सूरजमुखी इत्यादि को नष्ट कर दें, क्योंकि इन पर सफेद मक्खी ज्यादा पनपती है।
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कपास के खेत में 20 पीले ग्रीस से चिपचिपे ट्रैप प्रति एकड़ स्थापित करें, क्योंकि सफेद मक्खी पीले रंग के प्रति आकर्षित होकर इससे चिपक कर मर जाती है।
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सफेद मक्खी का प्रकोप होने पर कपास की फसल में फिप्रोनिल 04 % के साथ एसीटामिप्रिड 04 % डब्ल्यू/डब्ल्यू की 400 मिलीलीटर मात्रा प्रति एकड़ एवं डाईफेनथाईयूरोन 47% के साथ बैफेन्थ्रिन 09.4 % डब्ल्यू/डब्ल्यू एससी की 250 मिलीलीटर मात्रा का प्रति एकड़ के दर से छिडकाव करें।
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