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कपास में लगने वाले सफेद मक्खी कीट से ऐसे करें बचाव
कपास में लगने वाले सफेद मक्खी कीट से ऐसे करें बचाव
कपास एक नकदी फसल है। इस फसल में कई प्रकार की बीमारियां और कीट देखने को मिलते हैं। इनमें से एक है सफेद मक्खी। इस कीट के कारण फसल का उत्पादन 5 से 20 प्रतिशत तक कम हो जाता है। इसके बचाव के लिए इस कीट के बारे में किसानों को जानकारी होना बहुत आवश्यक है, तभी इस पर नियंत्रण किया जा सकता है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से किसान इस कीट के लक्षण एवं बचाव के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। जानने के लिए पढ़िए यह आर्टिकल।
सफेद मक्खी कीट से होने वाले नुकसान
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सफेद मक्खी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से फसल को नुकसान पहुंचाती है।
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प्रत्यक्ष रूप से मक्खी कपास की पत्तियों से रस चुसती है, जिससे पत्तियां सिकुड़ कर पीली पड़ जाती हैं।
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अप्रत्यक्ष रूप से मक्खी पत्तियों पर शहद जैसा चिपचिपा पदार्थ छोड़ती है।
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इससे पत्तियों पर फफूंद लग जाते हैं और इनका रंग काला पड़ जाता है।
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पत्तियों में प्रकाश संश्लेषण रुक जाता है, जिससे फसल के उत्पादन में कमी आती है।
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गर्म मौसम, उच्च आर्द्रता और कम बारिश जैसे वातावरण में सफेद मक्खी का प्रकोप अधिक होता है।
सफेद मक्खी कीट से नियंत्रण के तरीके
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सफेद मक्खी कीट से बचने के लिए फसल चक्र अपनाएं।
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प्रति एकड़ खेत में 4 से 6 पीली स्टिकी ट्रेप का प्रयोग करें।
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एसिटामाइप्रिड 40 ग्राम या एसिफेट 75% डबल्यूपी 800 ग्राम को 200 लीटर पानी में मिला कर प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें।
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इसके अलावा इमिडाक्लोरपीड़ 40 मिलीलीटर या थाइमेथोक्ज़म 40 ग्राम को 200 लीटर पानी में मिला कर प्रति एकड़ में छिड़काव करें।
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