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डॉ. प्रमोद मुरारी
कृषि विशेषयज्ञ
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कपास की पत्तियों में विकृति की समस्या और समाधान

कपास की पत्तियों में विकृति की समस्या और समाधान

कपास की फसल कई प्रकार के जैविक और अजैविक तत्वों के लिए संवेदनशील है और समय-समय पर उनसे होने वाली परेशानियों के बारे में सुनने को मिलता है। ऐसी ही एक समस्या इन दिनों राजस्थान और गुजरात के कपास के खेतों में देखने को मिल रही है। जिसमें रसायनों के दुष्प्रभाव के कारण कपास की पत्तियों की आकृति बन्दर के पंजे के जैसी हो रही है। कपास की फसल में चौड़ी पत्ती वाली खरपतवार की अधिकता होने के कारण इसके निवारण के लिए 2,4-D नामक खरपतवारनाशक का प्रयोग किया जाता है।  खरपतवारनाशक के कण हवा द्वारा फसल पर भी स्थानांतरित होते हैं जिसके दुष्प्रभाव से कपास की पत्तियां प्रभावित होकर बन्दर के पंजे जैसी दिखने लगती हैं। कपास की फसल 2,4-D खरपतवारनाशी के लिए बहुत ही ज्यादा संवेदनशील पाई गई है, इसकी छोटी मात्रा भी कपास की फसल को नुकसान पहुंचा सकती है। इसके अलावा बदलते पर्यावरण और फैक्ट्रियों से निकलने वाली दूषित हवा भी पौधों में इस प्रकार की विकृति में अपनी प्रमुख भूमिका निभाते हैं।

फसल में होने वाले नुकसान

  • पत्तियां विकृत हो कर बन्दर के पंजे जैसे आकार की हो जाती हैं ।

  • पौधों पर फल लगना बंद हो जाते हैं और फसल का विकास रुक जाता है।

  • नई पत्तियों की मुख्य शिरा मोटी हो जाती है और रंग गहरा हरा हो जाता है।

  • फसल की पत्तियां व कोपलें अंगुलियों की तरह दिखाई देती हैं।

  • पत्ते, डोडिया गिरने लगे हैं।

बचाव व प्रबंधन

  • रोग ग्रस्त कपास की टहनियों को तीन-चार इंच नीचे से काटकर खेत से बाहर मिट्टी में दबा दें।

  • संक्रमित पत्तियों से नई पत्तियों पर भी संक्रमण फैलने का खतरा होता है। जिससे बचने के लिए प्रति एकड़ फसल के लिए 1 किलोग्राम जिंक, 5 किलोग्राम यूरिया का 150 से 200 लीटर पानी में घोल तैयार करके छिडकाव करने से बीमारी से निजात पाई जा सकती है।

  • छिड़काव यंत्र को अच्छी प्रकार धोकर ही कपास फसल में प्रयोग करें।

  • पंप की जांच के लिए पहले केवल कुछ पौधों पर छिड़काव करके निरिक्षण कर लें। कोई दुष्प्रभाव न दिखने पर ही पंप से कीटनाशक दवा का छिड़काव करें।

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कपास की पत्तियों में विकृति की समस्या पर नियंत्रण एवं फसल प्रबंधन के लिए देहात टोल फ्री नंबर 1800-1036-110 के माध्यम से कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेकर समय पर फसल का बचाव करें। साथ ही अपने नज़दीकी देहात केंद्र से जुड़कर आप उच्च गुणवत्ता के उर्वरक एवं कीटनाशक खरीद जैसी सुविधा का भी लाभ उठा सकते हैं।


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