सफेद सोना यानी कपास की फसल पर छाया उखेड़ा रोग का संकट। लगातार 3 वर्षों से कपास की फसल इस घातक रोग की चपेट में आ रही है। इस रोग के कारण फसल अचानक नष्ट हो जाती है। बहुत तेजी से फैलने के कारण कम समय में फसलों को भारी क्षति पहुंचती है। कपास की फसल को इस हानिकारक रोगों को बचाने के लिए इस रोग के कारण, लक्षण एवं नियंत्रण की जानकारी होना आवश्यक है। आइए कपास की फसल को क्षति पहुंचाने वाले उखेड़ा रोग पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
उखेड़ा रोग का कारण
बार-बार एक ही फसल की खेती करने पर यह रोग होता है।
उखेड़ा रोग के लक्षण
पौधों की जड़ें गलने लगती हैं।
प्रभावित पौधों की पत्तियां मुरझाने लगती हैं।
कुछ ही दिनों में पौधे पूरी तरह सूख जाते हैं।
इस रोग के होने पर अचानक फसल नष्ट होने लगती है।
इस रोक के कारण भूमि के अंदर पोषक तत्वों की कमी हो जाती है।
उखेड़ा रोग पर नियंत्रण के तरीके
लगातार एक ही फसल की खेती करने से बचें और फसल चक्र अपनाएं।
इस रोग से निजात पाने के लिए प्रति एकड़ भूमि में 100 लीटर पानी में 1 ग्राम कोबाल्ट क्लोराइड नामक दवाई मिला कर छिड़काव करें।
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