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कपास की फसल में थ्रिप्स का प्रकोप और रोकथाम के उपाय
कपास की फसल में थ्रिप्स का प्रकोप और रोकथाम के उपाय
कपास एक महत्वपूर्ण नकदी फसल है। इसे सफेद सोना भी कहा जाता है। इसकी खेती से किसानों को अच्छा मुनाफा प्राप्त होता है। अक्सर इसकी खेती में कई बीमारियों एवं कीटों का प्रकोप देखने को मिलता है। इससे फसल के उत्पादन पर असर पड़ता है। ऐसा ही एक कीट है- थ्रिप्स। इस कीट के कारण फसल की पैदावार 30 से 70 प्रतिशत तक प्रभावित होती है। यह हरे रंग का कीट फसल की गुणवत्ता को प्रभावित कर देता है। कई बार किसान इस कीट को समय रहते पहचान नहीं पाते हैं। इससे फसल को नुकसान पहुंचता है। तो आज इस आर्टिकल के माध्यम से किसानों को इस कीट से होने वाले नुकसान एवं नियंत्रण के उपाय बताएंगे। ताकि समय रहते किसान इस कीट से छुटकारा पा सकें। जानने के लिए पढ़िए यह आर्टिकल।
थ्रिप्स से होने वाले नुकसान
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यह कीट छोटे एवं हरे, पीले व भूरे रंग के होते हैं। इनके पंख धारीदार होते हैं।
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नर थ्रिप्स के पंख नहीं होते हैं।
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इस कीट को कपास के पौधे या पेड़ पर आसानी से देखा जा सकता है।
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यह पत्तियों की नीचली सतह पर रहता है तथा टेढ़े-मेढ़े चलता है।
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यह कीट पत्ती के भीतरी भाग की कोशिकाओं का रस चूस लेते हैं।
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इसकी सतह बाद में चांदी जैसे रंग की हो जाती है इसलिए इन्हें सिल्वर लीफ के नाम से जाना जाता है।
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इनके प्रकोप से पत्ते किनारों से पीले पड़ जाते हैं तथा नीचे की ओर मुड़ने लगते हैं।
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अधिक प्रकोप होने पर पत्ते सूख कर नीचे जमीन में गिर जाते हैं।
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इसके अलावा अधिक प्रकोप होने से पत्तियों में रतुवा जैसा पदार्थ उत्पन्न होता है।
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इससे पत्तियों में भारीपन आ जाता है।
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इससे पौधों की बढ़वार रुक जाती है और पेड़ से कलियां एवं फूल गिरने लगते हैं।
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इससे पैदावार कम हो जाती है।
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थ्रिप्स कीट जुलाई से अगस्त महीने में फसल को सबसे ज्यादा हानि पहुंचाता है।
थ्रिप्स कीट पर नियंत्रण के उपाय
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इमिडाक्लोप्रिड 70 डब्लयू एस 7 मिलीलीटर से प्रति किलोग्राम बीज को उपचारित करें।
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मिथाइल डेमेटान 25 ई सी 160 मिलीलीटर, बुप्रोफेज़िन 25 प्रतिशत एस सी 350 मिलीलीटर, फिप्रोनिल 5 प्रतिशत एस सी 200-300 मिलीलीटर में से किसी एक को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में स्प्रे करें।
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हरा तेला के लिए 250-350 मिलीलीटर डाइमेथोएट 30 ई.सी. या 300-400 मिलीलीटर आक्सीडेट मिथाइल 25 ई.सी. या 40 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड 200 एस.एल. को 120-150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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दवा का छिड़काव करने के लिए नए स्प्रे पंप का प्रयोग करें।
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दूसरा छिड़काव 10 दिन बाद दवाई बदलकर करें।
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यूरिया को दवा के साथ मिलाकर छिड़कने से बेहतर परिणाम मिलते हैं।
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खरपतवारों को खेत में खड़ा न रहने दें, समय-समय पर निकालते रहें।
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