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कपास की फसल में थ्रिप्स का प्रकोप और बचाव के उपाय
कपास की फसल में थ्रिप्स का प्रकोप और बचाव के उपाय
कपास की फसल में लगने वाले थ्रिप्स को कई जगहों पर तेला कीट के नाम से भी जाना जाता है और सामान्य तौर पर फसल बुवाई की शुरुआत में इनका अधिक प्रकोप देखने को मिलता है। ये कीट आकार में बहुत छोटे होते हैं, जो छोटी पत्तियों के नीचे और पौधे के सिरे पर झुंड में पाए जाते हैं। व्यस्क कीट, पंख वाले पतंगे होते हैं, जो उड़कर हवा में लंबी दूरी तक संचरण कर पाने में सक्षम होते हैं। इसके साथ ही बारिश, हवा, अवशिष्ट खरपतवार और अंकुर रोग थ्रिप्स क्षति को बढाने में सकारात्मक भूमिका निभाते हैं।
थ्रिप्स की पहचान
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1 से 2 मीलीमीटर लंबे यह कीट काले, पीले या दोनों ही रंगों में पौधों की पत्तियों पर देखे जा सकते हैं।
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वातावरण में अधिक तापमान या सूखे पड़ने जैसी स्थिति में इनकी जनसंख्या में वृद्धि होती है।
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कीट पौधों के अवशेष, मिट्टी या खरपतवार को अपना घर बना लेते हैं।
कीट के लक्षण
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थ्रिप्स पत्तियों, पत्ती की कलियों और फूल खिलने की प्रारंभिक अवस्था में पौधों पर हमला करते हैं।
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प्रभावित पौधों के पत्ते पीले, सूखे, विकृत या मुरझाए हुए दिखाई देते हैं।
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प्रभावित फल या फूलों पर धब्बेदार एवं अविकसित या विकृत आकृतियां पड़ने लगती हैं। जिसके कारण उपज में नुकसान होता है।
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अधिक संक्रमण होने पर देर से कलियां बनती हैं।
कीट से रोकथाम
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कीट की उपस्थिति के बारे में जानने के लिए खेत में नियमित निगरानी रखें।
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कीट को पकड़ने के लिए खेत में चिपचिपे जाल का प्रयोग करें।
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खेत में उचित सिंचाई का ध्यान रखते हुए अत्यधिक नाइट्रोजन युक्त उर्वरक के इस्तेमाल से बचें।
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स्पिनेटोरम 11.70 % ईसी की 160 से 200 मिलीलीटर मात्रा को 150 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ के दर से छिडकाव करें।
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डायफेंथियुरोन 47 % के साथ बिफेंथ्रिन 09.40% एससी की 200 मिलीलीटर मात्रा को 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से खेत में छिड़कें।
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समय पर कपास में थ्रिप्स कीट की रोकथाम एवं प्रबंधन के लिए देहात के कृषि विशेषज्ञों (1800-1036-110) से जुड़कर उचित सलाह लेकर समय पर फसल का बचाव करें। साथ ही अपने नज़दीकी देहात केंद्र से जुड़कर उच्च गुणवत्ता के उर्वरक एवं कीटनाशक खरीद जैसी सुविधा पाएं।
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