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कपास की फसल में सल्फर की कमी होने पर क्या करें?

परिचय

  • कपास की फसल में अक्सर पत्तियों में पीलेपन की समस्या दिखाई देती है। इससे फसल को नुकसान पहुंचता है l यह सब फसल में सल्फर की कमी के कारण होता है।

  • इससे फसल का विकास रुक जाता है। इसलिए अधिक पैदावार एवं उच्च गुणवत्ता की फसल प्राप्त करने के लिए सही समय पर एवं सही मात्रा में सल्फर का इस्तेमाल करना आवश्यक है।

  • आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम किसानों को कपास की फसल में सल्फर की कमी को दुर करने के उपाय बताएंगे। जानने के लिए पढ़िए यह आर्टिकल।

सल्फर की कमी से फसल में क्या-क्या लक्षण दिखाई देते हैं?

  • सल्फर की कमी से पौधों का रंग पीला पड़ जाता है।

  • इसकी कमी से पौधों का विकास रुक जाता है।

  • पौधों का हरापन कम हो जाता है।

  • इसकी कमी से फसल देर से पकती है।

  • पत्तियां व तने में बैंगनीपन आ जाता है।

  • फसल में बीमारियों एवं कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है।

  • इसके अभाव में पौधे पीले, हरे, पतले और आकर में छोटे हो जाते हैं।

  • सल्फर के अभाव में पौधों का तना पतला और कड़ा हो जाता है।

  • इसकी कमी से फसल में फूल नही आते और न ही फल बनते हैं।

कपास की फसल में सल्फर की कमी को कैसे दूर करें?

  • सल्फर की कमी होने पर प्रति एकड़ खेत में 100 किलोग्राम जिप्सम का प्रयोग करें।

  • इसके अलावा सल्फर की कमी को दूर करने के लिए एस.एस.पी. फास्फो जिप्सम एवं सल्फर मिश्रित खाद का इस्तेमाल करें।

  • अमेरिकन किस्म की कपास के लिए 30 किलोग्राम नाइट्रोजन और 14 किलोग्राम फास्फोरस को प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग करें।

  • देशी किस्म की कपास के लिए 20 किलोग्राम नाइट्रोजन और 10 किलोग्राम फास्फोरस का प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग करें।

  • उर्वरकों का प्रयोग मिट्टी की आवश्यकतानुसार करें।

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